Navratri Katha 5th Day
आज नवरात्रि के पांचवें स्कन्दमाता (Skandmata Mata) माता की कथा सुनेंगे
नवरात्रि के पांचवें दिन स्कन्दमाता (Skandmata Mata) माता की पूजा की जाति है स्कन्दमाता (Skandmata Mata) की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पुरी होती है शत्रु पर विजय प्राप्त होती है और नि संतान लोगों को संतान सुख की प्रताप होती है
स्कन्दमाता माता (Skandmata Mata) कौन है तो आपको बताना चाहती हूं की मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप ही स्कन्दमाता (Skandmata Mata) है और अब अगर आप यह जानना चाहते हैं की इन देवी की गोद में यह बालक कौन है
तो इसका जवाब है की यह बालक है कुमार कार्तिकेय जिनका एक और नाम स्कंद है स्कन्दमाता माता (Skandmata Mata) पार्वती या मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप है
स्कन्दमाता माता (Skandmata Mata) शेर पर सवारी करती है इनके एक हाथ में कमल पुष्प है और एक हाथ से ये अपने पुत्र स्कंद कुमार यानी भगवान कार्तिकेय को पकड़ी हुई है भगवान कार्तिकेय को ही स्कंद कुमार कहते हैं
स्कंदमाता का अर्थ हुआ स्कंद कुमार की माता
पौराणिक कथा के अनुसार एक ताड़कासुर नाम का रक्षा था जिसका अंत केवल भगवान शिवा का पुत्र ही कर सकता था तब मां पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद यानी कार्तिकेय को युद्ध के लिए तैयार किया और तैयारी करने के बाद भगवान कार्तिक ने ताड़कासुर का अंत कर दिया स्कंदमाता हिमालय की पुत्री पार्वती हैं
पर्वत राज हिमालय की पुत्री होने के करण इन्हें पार्वती कहा जाता है इसके अलावा महादेव की पत्नी होने के करण इन्हें महेश्वरी नाम दिया गया है और अपने गौरव वर्ण के करण इन्हें गौरी कहा जान लगा
माता को अपनी पुत्र से बहुत प्रेम है इसी करण मां को उनके पुत्र के नाम से पुकार जाना उत्तम लगता है
मान्यता है की
स्कंदमाता की कथा पढ़ने या सुनने वाले भक्तों को मां संतान सुख प्रधान करती है और सुख समृद्धि भी देती है स्कन्दमाता माता (Skandmata Mata) को भोग स्वरूप केला का परसाद चढ़ना चाहिए स्कन्दमाता माता (Skandmata Mata) को पीली वस्तुएं बहुत प्रिया है इसलिए पीला वस्त्र पहनना चाहिए पीला के रंग फल भोग भी लगा सकते हैं नवरात्रि के पांचवें दिन लाल वस्त्र में सुहाग की सभी चीज और लाल फूल और अक्षत मां को अर्पित करने से महिलाओं को सौभाग्य और संतान की प्रताप होती करती है
स्कन्दमाता की आरती
जय माता स्कन्दमाते जगदम्बा जगमगते देवी देवों को धाम सर्वभूतेश्वरी राम
शक्ति देवी शिव की संगी करुणा के सागर निधि श्रद्धा भाव से जो जावे कष्ट दूर तेरे भजे
स्कन्दमाता सुंदरी सर्व रोग हरिनी जीवन में सुख समृद्धि करो प्रसन्न तुम सभी
जय माता स्कन्दमाते जगदम्बा जगमगते देवी देवों को धाम सर्वभूतेश्वरी राम
नोट: यह आरती स्कन्दमाता की पूजा के दौरान गाया जाता है। स्कन्दमाता हिंदू धर्म की सात मातृकाओं में से एक हैं।
स्कन्दमाता मंत्र
स्कन्दमाता मंत्र का उच्चारण करने से माता की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
यहां कुछ स्कन्दमाता मंत्र हैं:
श्री स्कन्दमातायै नमः: यह मूल मंत्र है, जिसका उच्चारण करते हुए माता की पूजा की जाती है।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमातायै सर्वमंगलमंगल्ये शिवा सर्वदा सर्वमंगलम: यह मंत्र माता की कृपा प्राप्ति के लिए उच्चारण किया जाता है।
ॐ नमो भगवती देव्यै स्कन्दमातायै नमः: यह मंत्र भी माता की पूजा के लिए प्रयुक्त होता है।
स्कन्दमाता मंत्र का उच्चारण कैसे करें:
- किसी भी शुभ दिन, विशेषकर नवरात्रि के दौरान, सुबह या शाम के समय मंत्र का उच्चारण करें।
- स्वच्छ स्थान पर बैठकर, मन को शांत करके मंत्र का जाप करें।
- मंत्र का उच्चारण करते समय माता का ध्यान करें।
- मंत्र का 108 बार या अधिक बार जाप करें।
स्कन्दमाता मंत्र का नियमित उच्चारण करने से माता की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
मंत्रों का जाप गुरु के निर्देशन में ही करें: एक विस्तृत समझ
मंत्रों का जाप एक पवित्र और शक्तिशाली साधना है, जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। लेकिन मंत्रों का उच्चारण करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है।
क्यों गुरु का मार्गदर्शन जरूरी है?
- शुद्ध उच्चारण: मंत्रों का उच्चारण एक निश्चित लय और स्वर में करना होता है। गुरु ही आपको सही उच्चारण सिखा सकते हैं।
- अर्थ का ज्ञान: मंत्रों का अर्थ समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना उनका उच्चारण। गुरु आपको मंत्रों के अर्थ और उनका प्रभाव समझा सकते हैं।
- मनन: मंत्रों का जाप करते समय मन को एकाग्र करना होता है। गुरु आपको मन को एकाग्र करने की विधियां सिखा सकते हैं।
- शक्ति का अनुभव: मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति में एक विशेष प्रकार की शक्ति का अनुभव होता है। गुरु आपको इस शक्ति का उपयोग करना सिखा सकते हैं।
- सुरक्षा: कुछ मंत्रों का उच्चारण करते समय कुछ विशेष सावधानियां बरतनी होती हैं। गुरु आपको इन सावधानियों के बारे में बता सकते हैं।
गुरु के मार्गदर्शन के लाभ:
- त्वरित फल: गुरु के निर्देशन में मंत्रों का जाप करने से आपको शीघ्र फल मिलते हैं।
- सही मार्ग: गुरु आपको आध्यात्मिक मार्ग पर सही दिशा दिखाते हैं।
- संकटों से मुक्ति: गुरु के आशीर्वाद से आप जीवन के संकटों से आसानी से मुक्त हो सकते हैं।
- आत्मिक विकास: गुरु के मार्गदर्शन में आप आत्मिक विकास कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
मंत्रों का जाप एक पवित्र साधना है, लेकिन इसे बिना किसी अनुभवी गुरु के मार्गदर्शन के नहीं करना चाहिए। गुरु का मार्गदर्शन आपको मंत्रों के सही उपयोग और उनके लाभों को प्राप्त करने में मदद करेगा।
यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जिन्हें आपको याद रखना चाहिए:
- किसी भी मंत्र का जाप करने से पहले गुरु से परामर्श जरूर लें।
- मंत्रों का जाप करते समय एकांत और शांत स्थान का चुनाव करें।
- मंत्रों का जाप करते समय मन को एकाग्र रखें।
- नियमित रूप से मंत्रों का जाप करें।
अंत में, याद रखें कि मंत्रों का जाप केवल एक साधन है, लक्ष्य है आत्मिक विकास।
अगर आपको कोई मंत्र सीखना है या मंत्रों के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आप किसी योग्य गुरु से संपर्क कर सकते हैं।