आम का पेड़ और चांदनी
यह कहानी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव की है, जहाँ लोग बड़े दिल और सादगी के साथ रहते हैं। इस गाँव के बीचों-बीच एक पुराना और विशाल आम का पेड़ था। यह पेड़ गाँव वालों के लिए किसी धरोहर से कम नहीं था। बच्चे उसकी छाया में खेलते, बुजुर्ग उसकी छांव में आराम करते, और गर्मियों में मीठे आमों का स्वाद लेते।
लेकिन इस पेड़ के साथ एक रहस्य भी जुड़ा था। गाँव वालों का कहना था कि अमावस्या की रात इस पेड़ के नीचे एक चांदनी सी रोशनी फैल जाती है। लोग इसे “चांदनी का आम” कहते थे। कई लोगों ने इस चांदनी को देखा, लेकिन कोई इसे समझ नहीं पाया।
चांदनी की शुरुआत
गाँव की एक लड़की, जिसका नाम भी चांदनी था, इस पेड़ के प्रति कुछ खास लगाव रखती थी। बचपन से ही वह अक्सर इस पेड़ के नीचे बैठकर अपने सपनों की दुनिया बसाया करती थी। चांदनी का सपना था कि वह पढ़-लिखकर अपने गाँव की पहली महिला शिक्षक बने।
उसके माता-पिता गरीब थे, लेकिन उन्होंने चांदनी की शिक्षा के लिए हर संभव कोशिश की। चांदनी रोज़ सुबह स्कूल जाती और शाम को उसी पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करती। पेड़ मानो उसकी हर बात सुनता था। वह कभी थक जाती तो पेड़ के नीचे हवा का हल्का झोंका उसे सुकून देता।
अमावस्या की घटना
एक दिन अमावस्या की रात थी। चांदनी पढ़ाई करते-करते देर रात तक उसी पेड़ के नीचे बैठी रही। अचानक उसने देखा कि पेड़ के पत्तों के बीच से हल्की रोशनी झलक रही है। यह कोई साधारण रोशनी नहीं थी। ऐसा लग रहा था जैसे पूरा पेड़ चमक रहा हो।
डरी-सहमी चांदनी ने हिम्मत जुटाई और पेड़ के करीब जाकर देखा। तभी उसे एक बूढ़ी औरत की आवाज़ सुनाई दी। वह आवाज़ हवा में गूंज रही थी, लेकिन कहीं कोई नजर नहीं आ रहा था।
पेड़ का रहस्य
उस आवाज़ ने कहा, “डरो मत बेटी। मैं इस पेड़ की आत्मा हूँ। यह पेड़ तुम्हारे सपनों का साथी है। तुम्हारी मेहनत और सच्चाई ने मुझे जगाया है।”
चांदनी हक्की-बक्की रह गई। उसने पूछा, “आप कौन हैं?”
वह आवाज़ बोली, “मैं इस पेड़ की संरक्षक हूँ। यह पेड़ सैकड़ों सालों से यहाँ खड़ा है। जब भी कोई सच्चे दिल से कुछ चाहता है और मेहनत करता है, तो यह पेड़ उसकी मदद करता है।”
चांदनी का सपनों की ओर सफर
उस रात के बाद चांदनी ने पहले से ज्यादा मेहनत करना शुरू कर दिया। जब भी वह पेड़ के नीचे बैठती, उसे ऐसा लगता जैसे पेड़ उसे कुछ कह रहा हो। पेड़ की छांव और हवा में मानो उसे नई ऊर्जा मिलती।
कुछ सालों बाद चांदनी का सपना सच हो गया। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और गाँव की पहली महिला शिक्षक बनी। अब वह गाँव के बच्चों को उसी आम के पेड़ के नीचे पढ़ाती थी।
गाँव की नई परंपरा
गाँव वालों ने यह देखा कि जब भी चांदनी बच्चों को पढ़ाती, पेड़ की छांव और घनी हो जाती। लोग मानते थे कि यह पेड़ अब केवल एक पेड़ नहीं, बल्कि चांदनी के सपनों का साक्षी बन चुका था।
धीरे-धीरे यह परंपरा बन गई कि जो भी अपनी मेहनत और ईमानदारी से कुछ पाना चाहता, वह इस पेड़ के नीचे बैठकर अपनी मन्नत मांगता।
सच्चाई और सीख
चांदनी और आम के पेड़ की कहानी गाँव में एक मिसाल बन गई। यह कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत और सच्चाई का साथ कभी व्यर्थ नहीं जाता। अगर हमारी नीयत साफ हो और दिल में सच्चा जज्बा हो, तो प्रकृति भी हमारी मदद करती है।
इस तरह, चांदनी और आम का पेड़ केवल एक कहानी नहीं, बल्कि उस विश्वास की गाथा है जो सपनों को सच करने की ताकत देता है।