सपने साजन के पर कहानी
यह कहानी एक छोटे से गाँव की है जहाँ एक लड़की और एक लड़का रहते थे। लड़की का नाम सुनिता था और लड़के का नाम मोहन। दोनों की मुलाकात एक शादी के आयोजन में हुई थी, और उस दिन से उनकी जिंदगी में कुछ ऐसा घटित हुआ, जिसे वे कभी भुला नहीं पाए।
सुनिता के लिए मोहन कोई अपरिचित नहीं था। वह पहले भी उसे गाँव के मेले में और खेतों में देख चुकी थी, लेकिन तब उन्हें एक-दूसरे के बारे में खास जानने का समय नहीं मिला था। एक दिन मोहन ने उसे एक ख्वाब दिखाया, जो सुनिता को हमेशा के लिए याद रह गया।
मोहन एक दिन सुनिता से बोला, “सुनिता, तुम मेरी आँखों में कभी-कभी बहुत अजीब सी झलक देखती हो, और मैं तुम्हें देखकर अपने सपनों में खो जाता हूँ।” सुनिता ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “क्या तुम्हारे सपने इतने खास होते हैं?”
मोहन ने उसे जवाब दिया, “मेरे सपनों में तुम हो, सुनिता। जब मैं सोता हूँ, तो मुझे लगता है जैसे तुम मेरे साथ हो, जैसे मैं तुम्हारे पास हूँ।”
सुनिता को मोहन के शब्दों से अजीब सा अहसास हुआ। वह पहले कभी नहीं समझ पाई थी कि एक लड़का ऐसा कुछ महसूस कर सकता है। लेकिन मोहन का चेहरा देखकर वह यह समझने लगी कि शायद वह सच में उसकी परवाह करता है।
कुछ दिनों बाद, मोहन ने सुनिता को अपने सपने के बारे में पूरी तरह से बताया। वह बोला, “मुझे लगता है कि जब मैं सपने देखता हूँ, तो वो सिर्फ मेरे नहीं होते, वो हमारे होते हैं। जैसे हम एक-दूसरे के बिना अधूरे हों।”
सुनिता को मोहन के इस विचार में एक अद्भुत सच्चाई दिखी, और उसने मोहन से कहा, “क्या तुम सच में मानते हो कि हमारे सपने एक साथ जुड़ी हुई हैं?”
मोहन ने सिर हिलाया, “हां, मैं ऐसा ही मानता हूँ। जब मैं तुमसे बात करता हूँ, जब मैं तुम्हें देखता हूँ, तो मुझे लगता है जैसे हम दोनों एक दूसरे के सपनों का हिस्सा हैं।”
सुनिता को इस बात का एहसास हुआ कि मोहन का प्यार और सपने सचमुच कितने गहरे और सच्चे थे। वह अब समझने लगी थी कि क्या मतलब होता है किसी के सपनों में खो जाना।
एक दिन मोहन ने सुनिता से कहा, “तुम मेरे सपनों में हमेशा रहोगी, सुनिता। मेरी आँखों में तुम हमेशा चमकती रहोगी, और जब मैं सोता हूँ, तो तुम्हारी हंसी मेरी नींद को और मीठा बना देती है।” सुनिता की आँखों में आंसू थे, क्योंकि उसे यह समझ आ गया था कि मोहन केवल उसका दोस्त नहीं, बल्कि उसका सच्चा साथी बन चुका था।
समय के साथ, दोनों का रिश्ता मजबूत होता गया। वे एक-दूसरे के ख्वाबों में खो जाते, और हर दिन एक नई उम्मीद के साथ जागते थे। मोहन और सुनिता दोनों के जीवन में एक अनोखी सच्चाई समाई हुई थी – “हमारे सपने सच होते हैं, अगर हम एक-दूसरे के साथ होते हैं।”
एक दिन मोहन ने सुनिता से कहा, “मुझे लगता है कि हमारे सपने कभी खत्म नहीं होंगे, क्योंकि जब तक तुम मेरे साथ हो, मैं कभी अकेला नहीं रहूँगा।”
सुनिता मुस्कुराई और मोहन के साथ अपने सपनों को साकार करने के लिए एक नया कदम बढ़ाया। वह जानती थी कि इन सपनों की सच्चाई सिर्फ उनके बीच ही नहीं, बल्कि उनके दिलों में भी बसी हुई थी।
तभी, एक सुबह मोहन ने सुनिता को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उसने लिखा था, “मेरी जिन्दगी के सबसे हसीन और सुंदर सपने तुम हो, और मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा, चाहे कुछ भी हो।”
सुनिता ने चिट्ठी पढ़ते हुए कहा, “तुम सही हो मोहन, ये सपने कभी खत्म नहीं होंगे, क्योंकि हम एक-दूसरे के ख्वाबों में सजीव हैं।”
और फिर, वे दोनों अपने जीवन को मिलकर जीने लगे। उनका प्यार, उनका सपना और उनका विश्वास कभी भी खत्म नहीं हुआ। वे एक-दूसरे के सपनों में जीते रहे, और उनकी यह कहानी गाँव में एक मिसाल बन गई।
सुनिता और मोहन के सपने सचमुच एक-दूसरे के दिलों में बसी हुई सच्चाई बन गए, और वे हमेशा एक-दूसरे के साथ रहते हुए अपने सपनों को पूरा करते रहे। उनके प्यार और ख्वाबों की कहानी समय के साथ अमर हो गई।