जंगल के रहस्यमयी राज़
एक घना और रहस्यमयी जंगल था, जो सदियों से मानव की पहुंच से दूर था। कहते हैं कि इस जंगल के भीतर कई अनदेखे और अनसुने रहस्य छुपे थे, जिन्हें कोई भी आज तक पूरी तरह से नहीं जान सका।
जंगल के रहस्यमयी राज़ को जानने की कोशिश में बहुत से लोग गए, लेकिन वापस नहीं लौटे। इसी जंगल के रहस्यमयी राज़ को उजागर करने का इरादा कर एक युवा लड़का, अर्जुन, ने अपने गांव वालों की सलाह को नजरअंदाज करते हुए जंगल में प्रवेश किया।
अर्जुन बचपन से ही जंगल और उसमें छिपे अनजाने खजानों के बारे में कहानियां सुनता आया था। उसके दिल में जंगल के रहस्यमयी राज़ को जानने की तीव्र इच्छा थी। जैसे ही वह जंगल में घुसा, उसे चारों तरफ अजीबो-गरीब आवाज़ें सुनाई देने लगीं।
यह जंगल किसी भी साधारण जंगल से बहुत अलग था। यहां हर एक पेड़, हर एक पौधा मानो किसी गहरी बात को कहने की कोशिश कर रहे हों। अर्जुन समझ गया था कि यह जंगल के रहस्यमयी राज़ को जानने का सफर इतना आसान नहीं होगा।
जंगल में चलते हुए अर्जुन की मुलाकात एक बुजुर्ग साधु से हुई। साधु ने उसे चेतावनी दी कि जंगल के रहस्यमयी राज़ को जानने की कोशिश करना बहुत खतरनाक हो सकता है। साधु ने बताया कि इस जंगल में कुछ अदृश्य शक्तियां हैं, जो इंसानों को जंगल के रहस्यमयी राज़ से दूर रखने का काम करती हैं। पर अर्जुन की जिज्ञासा ने उसे वहां से वापस जाने की इजाजत नहीं दी।
उसने साधु से जंगल के गहरे रहस्यों के बारे में पूछना शुरू कर दिया। साधु ने उसे बताया कि यहां कई ऐसी आत्माएं हैं, जो सदियों से इस जंगल में भटक रही हैं। वे आत्माएं जंगल के रहस्यमयी राज़ को सुरक्षित रखती हैं।
अर्जुन ने सोचा कि अब चाहे जो हो, वह इस जंगल के रहस्यमयी राज़ को उजागर करके ही लौटेगा। आगे बढ़ते हुए उसे एक पुराना मंदिर दिखाई दिया, जो पेड़ों और बेलों से ढका हुआ था। मंदिर के अंदर घुसते ही उसे ठंडक का एहसास हुआ और वहां पर एक मंत्र का जाप हो रहा था।
उसने देखा कि मंदिर के अंदर एक रहस्यमयी पुस्तक रखी हुई थी। उस पुस्तक पर लिखा था कि “जो इस पुस्तक को पढ़ेगा, उसे जंगल के रहस्यमयी राज़ का ज्ञान होगा, लेकिन यह ज्ञान उसे हमेशा के लिए जंगल में कैद भी कर सकता है।” अर्जुन थोड़ा घबरा गया, लेकिन उसकी जिज्ञासा उसे पुस्तक खोलने से रोक नहीं सकी। उसने पुस्तक खोली और जैसे ही उसने पढ़ना शुरू किया, उसे ऐसा लगा कि वह किसी और ही दुनिया में प्रवेश कर गया है।
पुस्तक में उस जंगल के रहस्यमयी राज़ के बारे में लिखा था कि यह जंगल वास्तव में एक प्राचीन राजा का साम्राज्य था। राजा को एक श्राप दिया गया था कि उसकी आत्मा और उसके राज्य के लोग हमेशा इस जंगल में कैद रहेंगे। राजा ने बहुत कोशिश की इस श्राप से मुक्त होने की, लेकिन असफल रहा। उसने अपनी आत्मा के साथ जंगल में ऐसे रहस्य छुपा दिए कि कोई भी उन्हें समझ न सके। अर्जुन को अब समझ आ रहा था कि क्यों लोग जंगल के रहस्यमयी राज़ को जानने की कोशिश में वापस नहीं लौटते।
जैसे-जैसे अर्जुन पुस्तक के पन्ने पलटता गया, उसे जंगल के हर कोने की जानकारी मिलती गई। उसे समझ में आया कि इस जंगल के रहस्यमयी राज़ से जुड़ी शक्तियां किसी के भी मन और आत्मा को अपने बस में कर सकती हैं। उसने यह भी पढ़ा कि जंगल में एक ऐसा स्थान है जहां पर असली रहस्य छुपा हुआ है। अर्जुन ने तय किया कि वह उस स्थान तक पहुंचने की कोशिश करेगा, चाहे इसके लिए उसे किसी भी कठिनाई का सामना करना पड़े।
जंगल में भटकते-भटकते अर्जुन को आखिरकार वह स्थान मिला। वहां पहुंचकर उसने देखा कि एक बड़ा सा पत्थर पड़ा हुआ था, जिस पर एक तिलिस्म अंकित था। उस तिलिस्म में एक कड़ी छुपी थी जो जंगल के रहस्यमयी राज़ को बाहर ला सकती थी। अर्जुन ने हिम्मत करके उस पत्थर को छुआ, और अचानक वहां से एक अदृश्य रोशनी निकलने लगी। वह रोशनी धीरे-धीरे एक छाया का रूप लेने लगी। यह छाया उस प्राचीन राजा की आत्मा थी।
राजा ने अर्जुन को धन्यवाद दिया और कहा, “तुमने मुझे आजाद कर दिया। लेकिन इस जंगल के रहस्यमयी राज़ को किसी और के साथ साझा मत करना, वरना तुम्हें भी इसी जंगल का हिस्सा बनना पड़ेगा।” अर्जुन ने राजा की बात मानी और उसे वादा किया कि वह जंगल के रहस्यमयी राज़ को अपने तक ही सीमित रखेगा।
इसके बाद अर्जुन वापस अपने गांव लौटा, लेकिन उसकी आंखों में अब भी जंगल के रहस्यमयी राज़ की झलक थी। वह जानता था कि उसने किसी अद्भुत दुनिया का हिस्सा देखा है, और उसका रहस्य हमेशा के लिए उसकी यादों में सुरक्षित रहेगा।
जंगल के रहस्यमयी राज़ से अर्जुन ने सीखा कि कुछ राज़ छुपे रहना ही बेहतर होते हैं, क्योंकि उनका खुलना इंसान के लिए हमेशा अच्छा नहीं होता।