सच्ची कहानियाँ

माँ-बेटी की नोक-झोंक

माँ

माँ-बेटी राशि और सीरत की कहानी

गांव के एक छोटे से घर में, राशि और उसकी बेटी, सीरत, रहती थीं। राशि एक साधारण गृहिणी थी, जो अपने परिवार की हर जरूरत का ध्यान रखती थी। सीरत, जो अब किशोरावस्था में कदम रख चुकी थी, उसे अपनी मां से कई बातें सीखने में रुचि थी, लेकिन कभी-कभी उनकी सोच में टकराव भी होता था।

सुबह का समय था, राशि ने सीरत को जगाने के लिए कहा, “सीरत, उठ जाओ! स्कूल के लिए देर हो रही है।” सीरत ने बिस्तर में ही करवट लेते हुए कहा, “माँ, पांच मिनट और सोने दो। अभी तो सुबह की पहली किरण भी नहीं आई है।”

राशि ने हंसते हुए कहा, “पांच मिनट नहीं, जल्दी उठो। तुम्हें नाश्ता करना है और स्कूल भी जाना है। पढ़ाई में ध्यान देना जरूरी है।” सीरत ने मुँह बिचकाते हुए कहा, “माँ, आप हमेशा यही कहती हैं। मुझे थोड़ा और सोने दो, मैं स्कूल में अच्छे अंक लाऊंगी।”

“अगर तुम समय पर नहीं उठोगी, तो अच्छे नंबर कैसे लाओगी?” राशि ने थोड़ी सख्ती से कहा। सीरत ने आखिरी बार आँखें बंद कीं और बोरियत से कहा, “आप भी न, माँ! कभी-कभी तो समझने की कोशिश कीजिए।”

आखिरकार, सीरत ने बिस्तर छोड़ दिया और नाश्ते की मेज पर आई। राशि ने आलू के पराठे बनाए थे। “देखो, तुम्हारे पसंदीदा पराठे,” राशि ने मुस्कराते हुए कहा। सीरत ने चिढ़ाते हुए कहा, “माँ, क्या आप कभी कुछ और बना सकती हैं? मुझे हर दिन पराठे खाकर बोर हो गया है।”

राशि ने हंसते हुए कहा, “बेटा, पराठे ही सबसे जल्दी बनते हैं और तुम जानते हो, मेरी सुबह कितनी व्यस्त होती है। फिर भी, तुम्हारे लिए मैं कुछ और भी बना सकती हूँ।” सीरत ने हल्की-सी मुस्कान के साथ कहा, “ठीक है, लेकिन अगली बार कुछ नया बनाइएगा।”

नाश्ता खत्म करने के बाद, सीरत ने अपनी किताबें उठाईं। राशि ने ध्यान से देखा, सीरत की किताबों में कई पन्ने पलटे हुए थे। “सीरत, तुमने अपनी किताबों को ठीक से नहीं रखा। उन्हें साफ-सुथरा रखना चाहिए। यह तुम्हारी जिम्मेदारी है,” राशि ने कहा।

“माँ, मुझे पढ़ाई करने में मदद कीजिए, लेकिन मेरी किताबों को लेकर बार-बार मत कहिए। मुझे खुद संभालना आता है,” सीरत ने हल्के से चिढ़ते हुए कहा।

“तुम अभी छोटी हो मैं सिर्फ तुम्हारी भलाई के लिए कह रही हूं। तुम्हें कुछ चीजें सीखने की जरूरत है,” राशि ने जवाब दिया।

इस पर सीरत ने झुंझलाते हुए कहा, “मैं बड़ी हो गई हूँ, माँ! मुझे आपसे कुछ सिखाने की जरूरत नहीं है।” राशि ने गहरी साँस ली और कहा, “ठीक है, लेकिन जब तुम्हें परेशानी होगी, तब मुझे याद कर लेना।”

स्कूल में सीरत ने अपनी सहेलियों से कुछ मजेदार बातें कीं। उन्होंने कहा, “तुम्हारी माँ हमेशा तुम्हें कुछ न कुछ सिखाने की कोशिश करती है। यह तो सही है, पर कभी-कभी वह बहुत सख्त भी हो जाती हैं।”

सीरत ने कहा, “हाँ, मुझे लगता है कि वह कभी-कभी मेरी बातों को समझती नहीं हैं। मैं थोड़ी स्वतंत्रता चाहती हूँ।” सहेलियों ने कहा, “लेकिन वह तुम्हारी भलाई के लिए ही ऐसा करती हैं। माँ हमेशा हमें समझती हैं।”

शाम को, जब सीरत घर आई, तो राशि ने कहा, “कैसा रहा स्कूल?” सीरत ने चिढ़ाते हुए कहा, “माँ, आप भी हर बार यही पूछती हैं। मैं ठीक हूँ, आप बस मेरा पढ़ाई पर ध्यान दें।”

राशि ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं तुम्हारी पढ़ाई को लेकर चिंतित रहती हूँ। तुम जानती हो, मैं तुम्हारे भविष्य के लिए कितनी परेशान हूँ।” सीरत ने कहा, “मैं समझती हूँ, माँ। लेकिन कभी-कभी मुझे आपकी बातें बोरिंग लगती हैं।”

एक दिन, सीरत ने कहा, “माँ, क्या मैं अपनी सहेलियों के साथ फिल्म देखने जा सकती हूँ?” राशि ने थोड़ी सोचकर कहा, “लेकिन तुम्हें पढ़ाई भी करनी है, और मैं तुम्हें रात में बाहर जाने की इजाजत नहीं दे सकती।”

“क्यों नहीं? मेरी दोस्तें जा रही हैं। क्या आप मुझ पर भरोसा नहीं करतीं?” सीरत ने गुस्से में कहा।

“यह बात नहीं है, सीरत। मैं तुमसे प्यार करती हूँ, और हर माता-पिता की तरह मैं तुम्हारी सुरक्षा के लिए चिंतित रहती हूँ,” राशि ने समझाते हुए कहा।

सीरत ने गहरी साँस ली और कहा, “मैं बड़ी हो गई हूँ, माँ। मुझे थोड़ी स्वतंत्रता चाहिए। क्या आप कभी मेरे विचारों को समझेंगी?”

राशि ने सोचा और कहा, “ठीक है, मैं तुम्हारी सहेलियों के साथ जाने की इजाजत देती हूँ, लेकिन तुम हमेशा समय पर घर आना। समझी?”

सीरत ने खुश होकर कहा, “धन्यवाद, माँ! मैं जल्दी आऊँगी।”

फिल्म देखने के बाद, सीरत घर लौटी और माँ के पास जाकर बोली, “माँ, आप जानती हैं, मैं आपके बिना भी अच्छा समय बिता सकती हूँ।”

राशि ने मुस्कराते हुए कहा, “बिल्कुल, लेकिन मेरी चिंता हमेशा तुम्हारे साथ है। यह तो माँ का काम है।”

अगले दिन, सीरत ने अपनी किताबों को व्यवस्थित करने का फैसला किया। उसने अपनी माँ की बातों को ध्यान में रखते हुए, किताबों को सही ढंग से रखा। जब राशि ने देखा तो उसकी आँखों में खुशी चमक उठी।

“देखो, तुमने कितनी अच्छी तरह से अपनी किताबें रखी हैं। मुझे तुम पर गर्व है,” राशि ने कहा।

कभी-कभी आपकी बातें सही होती हैं, माँ मैंने आपकी बात मान ली। सीरत ने हंसते हुए कहा।

इस पर राशि ने कहा, “देखो, हम दोनों के बीच नोक-झोंक हमेशा होती रहेगी, लेकिन प्यार कभी खत्म नहीं होगा। यह तो हमारी खास पहचान है।”

सीरत ने मुस्कुराते हुए कहा, “सच कह रही हैं, माँ! हम हमेशा एक-दूसरे के साथ रहेंगे, चाहे कितनी भी नोक-झोंक हो।”

इस तरह, माँ और बेटी के बीच की नोक-झोंक एक प्यार भरे रिश्ते की पहचान बन गई। उन्होंने समझा कि यह नोक-झोंक ही उनके रिश्ते को मजबूत बनाती है, और हर दिन एक नई सीख देती है।

 

 

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