आज सुनेंगे नवरात्र के दिन की कथा यानी मां दुर्गा के नौवां स्वरूप मां सिद्धिदात्री की कथा
आज नवरात्र का नौवां और आखिरी दिन है इस दिन मां दुर्गा की नौवी शक्ति मां सिद्धिदात्री की पूजा उपासना होती है साथ ही नवरात्रि में महानवमी के दिन को बहुत महत्त्वपूर्ण माना गया है मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना से सभी तरह की सिद्धि प्राप्त होती है और सभी तरह की मनोकामना हों की पूर्ति होती है मां सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत दिव्य है मां का वाहन सिंह है यह कमल पर आसन लगाए हुए हैं इनकी चार भुजाएं हैं दाहिनी ओर नीचे वाले हाथ में चक्र है ऊपर वाले हाथ में गधा और बाई ओर के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का फूल है
मां सिद्धि दात्री को देवी सरस्वती का भी स्वरूप माना गया है इन्हें बैंगनी रंग अत्यंत प्रिय होता है मां सिद्धि दात्री की अनुकंपा से शिव जी का आधा शरीर देवी का हो गया था और इन्हें अर्धनारेश्वर कहा गया था मां सिद्धिदात्री का पूजा मंत्र है या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धि दात्री रूपेण संस्थिता नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः
एक पुरानी कथा के अनुसर भोलेनाथ ने माता की बहुत वर्षा तक तपस्या की माता ने खुश होकर भोलेनाथ को 8 सिधियों का वरदान दिया जिसे वे अर्ध नरेश्वर अर्थात उनका आधा श्री देवी का बन गया और वह अर्धनारेश्वर कहलाए मां दुर्गा के नौ रूपों में यह रूप अत्यंत ही शक्तिशाली रूप है कहा जाता है कि दुर्गा का यह रूप सभी देवी देवताओं के तेज से प्रकट हुआ था कथा में वर्णन है कि जब दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवता गण भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास पहुंचे तब उनसे एक तेज उत्पन्न हुआ और उसी तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ जिसे मां सिद्धिदात्री कहा जाता है फिर देवी के उस रूप ने दैत्यों का नाश करके दैत्यों के आतंक से तीनों लों को मुक्ति दिलाई मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि हैं सबसे पहले कलश की पूजा करें और फिर रोली मोली कुमकुम पुष्प चुन आदि से मां की भक्ति भाव से पूजा करें हलवा पूरी खीर चने नारियल से माता को भोग लगाएं इसके बाद माता के मंत्रों का जाप करना चाहिए इस दिन नौ कन्याओं और एक बालक को घर में भोजन कराना चाहिए कन्या भोजन कराना इस दिन बहुत उचित माना गया है
आरती:
जय सिद्धिदात्री माँ जगमाती, सर्व सिद्धिदाता जग माँ, करुणा के सागर, दया के भंडार, सदा भक्तों को रखना संभाल।
सर्व सिद्धि देती हो तुम माँ, भक्तों के दुख हर लेती हो माँ, सदा ही रहना संग हमारे, सुख समृद्धि देती हो हमारे।
अनुवाद:
जय सिद्धिदात्री माँ, जग में जगमगाने वाली, सर्व सिद्धि देने वाली जग माँ, करुणा के सागर, दया के भंडार, सदा भक्तों को संभाले रखना।
सर्व सिद्धि देती हो तुम माँ, भक्तों के दुख दूर करती हो माँ, सदा ही हमारे साथ रहना, सुख समृद्धि देती हो हमारे।
नोट: यह आरती सिद्धिदात्री माता, नवरात्रि के सातवें दिन पूजित देवी की प्रशंसा में गाया जाता है। सिद्धिदात्री माता को सभी सिद्धियों की दाता माना जाता है।
सिद्धिदात्री माता का मंत्र
मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं सिद्धिदात्रिये नमः
अनुवाद:
ॐ (प्रणाम), ऐं (बीज मंत्र), ह्रीं (बीज मंत्र), श्रीं (बीज मंत्र), सिद्धिदात्रिये (देवी का नाम), नमः (प्रणाम)।
मंत्र का अर्थ:
यह मंत्र सिद्धिदात्री माता की पूजा और आराधना के लिए प्रयोग किया जाता है। मंत्र में उपयोग किए गए बीज मंत्रों (ऐं, ह्रीं, श्रीं) का उच्चारण सिद्धियों और सफलता प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
मंत्र का जाप कैसे करें:
सिद्धिदात्री माता की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
मंत्र का उच्चारण मन ही मन या ध्वनि में करें।
मंत्र का जाप 108 बार या अपनी इच्छानुसार करें।
जाप के दौरान ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें।
मंत्र के लाभ:
सिद्धिदात्री माता की कृपा प्राप्त होती है।
सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
नोट: नवरात्रि के सातवें दिन सिद्धिदात्री माता की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस दिन मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।