सच्ची कहानियाँ

विचित्र गाँव की डरावनी रात

विचित्र गाँव की डरावनी रात

विचित्र गाँव की डरावनी रात

विचित्र गाँव का नाम सुनते ही लोगों के दिल में एक अजीब-सा डर बैठ जाता था। इस गाँव की रातें हमेशा ही रहस्यमयी और खौफनाक मानी जाती थीं, खासकर जब अमावस्या की रात हो। गाँव के बड़े-बुजुर्गों का कहना था कि यह विचित्र गाँव कई पीढ़ियों से किसी अज्ञात शक्ति के चंगुल में फँसा हुआ है। वहाँ रात होते ही लोग अपने-अपने घरों में दुबक जाते थे, क्योंकि कहा जाता था कि विचित्र गाँव की डरावनी रात में अजीब-अजीब चीजें होती हैं, जिनका कोई इंसान समझ नहीं पाता।

उस रात अमावस्या थी और विचित्र गाँव की डरावनी रात ने एक बार फिर से सभी गाँववालों को घेर लिया था। गाँव में चारों तरफ सन्नाटा था और हवा में एक भारीपन महसूस हो रहा था। हर एक घर के दरवाजे बंद थे, खिड़कियाँ कसकर जकड़ी गई थीं, मानो कोई बड़ा तूफान आने वाला हो। गाँव के बुजुर्गों ने हमेशा चेताया था कि इस गाँव की रातें सामान्य नहीं होतीं, खासकर जब यह विचित्र गाँव की डरावनी रात हो।

रवि, जो शहर से इस गाँव में अपने दादा के पास छुट्टियाँ बिताने आया था, अपने दोस्तों के साथ डरावनी कहानियाँ सुनने के लिए बेताब था। उसके दोस्त अजय, रोहन और सनी भी शहर से आए हुए थे और सभी ने मिलकर योजना बनाई कि वे रात को बाहर निकलेंगे और देखेंगे कि आखिर यह विचित्र गाँव की डरावनी रात कितनी भयानक होती है। गाँव के लोग उन्हें मना कर रहे थे, लेकिन युवा जोश के आगे किसी की नहीं चल रही थी।

रात करीब दस बजे वे चारों घर से बाहर निकले और गाँव के सुनसान रास्तों पर चलने लगे। चारों ओर अजीब-सी खामोशी थी, और हवा में एक अजीब-सा सर्द एहसास था। हर कदम के साथ उनके मन में विचित्र गाँव की डरावनी रात का खौफ बढ़ता जा रहा था, पर वे इसे नज़रअंदाज कर आगे बढ़ते रहे।

जैसे ही वे गाँव के उस पुराने पीपल के पेड़ के पास पहुँचे, जिसे गाँव में भूतिया माना जाता था, एक ठंडी हवा का झोंका उनके पास से गुजरा और पेड़ की पत्तियाँ सरसराने लगीं। अचानक उन्हें लगा कि वहाँ किसी की परछाईं है, पर जब ध्यान से देखा तो कोई नहीं था। अब तक रवि और उसके दोस्तों का जोश थोड़ा कम हो गया था। उन्हें अहसास हुआ कि इस विचित्र गाँव की डरावनी रात सचमुच खौफनाक हो सकती है।

थोड़ी देर बाद, वे गाँव के किले की ओर चल दिए, जो सदियों पुराना था और कहा जाता था कि वहाँ किसी राजा का भूत निवास करता है। जैसे ही वे किले के पास पहुँचे, उन्होंने सुना कि किसी ने उनके नाम लेकर पुकारा। उन्होंने इधर-उधर देखा, लेकिन कोई दिखाई नहीं दिया। अब उनकी घबराहट बढ़ने लगी थी। इस विचित्र गाँव की डरावनी रात ने सच में उनका मनोबल तोड़ना शुरू कर दिया था।

अचानक किले के अंदर से एक अजीब-सी आवाज आने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने किसी को बुलाया हो। सभी दोस्तों के दिल की धड़कन तेज हो गई थी। फिर भी, वे हिम्मत करके किले के अंदर गए। अंदर पहुँचते ही उन्होंने देखा कि दीवारों पर अजीब-अजीब छायाएँ चल रही थीं, और एक अजीब-सा धुंआ फैल रहा था। उन्हें ऐसा लगा जैसे उनकी साँस रुकने लगी है। वे समझ नहीं पा रहे थे कि इस विचित्र गाँव की डरावनी रात उन्हें किस मुसीबत में डालने वाली है।

वहाँ कुछ समय और बिताने के बाद, वे जल्दी से बाहर निकले और गाँव की ओर लौटने लगे। वापस रास्ते में उन्होंने महसूस किया कि कोई उनका पीछा कर रहा है। हर कदम पर उन्हें किसी की उपस्थिति का एहसास हो रहा था, पर पीछे मुड़कर देखने पर कोई नज़र नहीं आता। अचानक रोहन ने जोर से चीख मारी, “कोई यहाँ है!” उसकी चीख ने  डरा दिया सभी बुरी तरह डर चुके थे।

जब वे गाँव की सीमा पर पहुँचे तो एक बूढ़ी औरत उनकी ओर आई। वह उन्हें देखकर मुस्कुरा रही थी, पर उसकी मुस्कान में कुछ ऐसा था जिसने उनके रोंगटे खड़े कर दिए। वह औरत बोली, “बेटा, यह विचित्र गाँव की डरावनी रात है, यहाँ ऐसी घटनाएँ आम हैं। तुम सबने चेतावनी को अनदेखा किया, अब यह रात तुम्हें चैन से नहीं सोने देगी।” उसके यह कहते ही वह धुआं बनकर गायब हो गई।

रवि और उसके दोस्तों की हालत अब बहुत खराब थी। वे किसी तरह अपने घरों में लौटे और दरवाजे बंद कर लिए। पूरी रात वे सो नहीं पाए और विचित्र गाँव की डरावनी रात के बारे में सोचते रहे। अगले दिन, उन्होंने गाँव छोड़ने का फैसला किया। उन्हें इस बात का गहरा यकीन हो चुका था कि विचित्र गाँव की डरावनी रात महज एक कहानी नहीं बल्कि एक कड़वी सच्चाई थी।

इस घटना के बाद, रवि ने फैसला किया कि वह कभी इस गाँव में नहीं आएगा। बाकी दोस्त भी सहम गए थे और उन्होंने भी गाँव के प्रति अपनी जिज्ञासा खत्म कर ली। इस तरह, विचित्र गाँव की डरावनी रात की याद उनके दिल में हमेशा के लिए घर कर गई।

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