गर्मियों की वो सुनहरी दोपहर थी, जब सूरज की किरणें हल्की ठंडक के साथ ज़मीन पर पड़ रही थीं। शहर के छोटे से कॉलेज की लाइब्रेरी में एक लड़की हर दिन आती थी। उसका नाम था सुमन। वह किताबों की दुनिया में खोई रहने वाली, शांत और गंभीर स्वभाव की लड़की थी। उसकी नज़रों में एक गहराई थी, जैसे कोई अनकही कहानी हो, कोई अधूरी चाहत, जिसे वह खुद भी शायद नहीं समझती थी।
दूसरी ओर था रोहित, जो उसी कॉलेज में पढ़ता था। वह एक खुशमिज़ाज और हंसमुख लड़का था, जिसे हर कोई पसंद करता था। रोहित की दुनिया दोस्तों, मस्ती और सपनों से भरी हुई थी। लेकिन उसकी आँखों ने जिस दिन पहली बार सुमन को देखा, उस दिन से वह बदलने लगा।
लाइब्रेरी में बैठकर जब भी सुमन कोई किताब पढ़ रही होती, रोहित दूर से उसे देखता। उसे समझ नहीं आता कि आखिर इस लड़की में ऐसा क्या है जो उसे इतनी खास बनाती है। धीरे-धीरे रोहित को एहसास हुआ कि वह सुमन से बेइंतहा मोहब्बत करने लगा है। लेकिन यह मोहब्बत एकतरफा थी, क्योंकि सुमन को इस बात की भनक तक नहीं थी।
समय बीतता गया। रोहित ने कई बार कोशिश की कि वह सुमन से बात करे, लेकिन उसकी झिझक और सुमन की गहरी दुनिया के बीच यह कभी संभव नहीं हो पाया। वह कई बार उसके पास गया, लेकिन हर बार खुद को रोक लिया। उसकी मोहब्बत एक राज़ बनकर रह गई।
एक दिन कॉलेज का आखिरी दिन आ गया। रोहित ने ठान लिया कि वह अपने दिल की बात सुमन से कह देगा। वह लाइब्रेरी में गया, जहां सुमन हमेशा की तरह एक किताब में खोई हुई थी। रोहित ने कांपते हुए शब्दों में कहा, “सुमन, मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।”
सुमन ने सिर उठाया और उसकी ओर देखा। रोहित के शब्द उसकी जुबान तक आकर अटक गए। उसे समझ नहीं आया कि वह क्या कहे। वह बस मुस्कुराया और कहा, “तुम हमेशा खुश रहना।” इतना कहकर वह वहाँ से चला गया। सुमन कुछ नहीं बोली, वह फिर से अपनी किताब में खो गई।
समय बीतता गया। कॉलेज की यादें धुंधली पड़ने लगीं। रोहित अपने करियर में आगे बढ़ गया, लेकिन उसकी मोहब्बत वहीं की वहीं रह गई। वह कभी सुमन से अपने दिल की बात नहीं कह पाया, और सुमन ने कभी महसूस भी नहीं किया कि कोई उसे इस कदर चाहता था।
इसके बाद रोहित की ज़िंदगी कई मोड़ों से गुज़री। उसने कई शहर बदले, नई नौकरी की, नए दोस्त बनाए, लेकिन उसका दिल कभी सुमन को भूल नहीं पाया। वह हर किताब की दुकान, हर लाइब्रेरी में उसे ढूंढने की कोशिश करता, मगर वह कहीं नहीं थी।
एक दिन, कई सालों बाद, रोहित को एक पुराने दोस्त से पता चला कि सुमन अब एक प्रसिद्ध लेखिका बन चुकी है। उसने किताबें लिखी थीं, मगर किसी भी इंटरव्यू में उसने कभी अपनी निजी ज़िंदगी के बारे में कुछ नहीं कहा। रोहित ने उसकी एक किताब खरीदी, और जब उसने उसे पढ़ा, तो उसकी आँखें भर आईं।
उस किताब में एक कहानी थी – एक ऐसे लड़के की, जो लाइब्रेरी में बैठकर एक लड़की को देखा करता था, मगर कभी अपने दिल की बात कह नहीं पाया। रोहित को यकीन हो गया कि यह उसकी ही कहानी थी।
रोहित ने ठान लिया कि वह एक बार सुमन से जरूर मिलेगा। उसने बहुत खोजबीन की, लेकिन सुमन अब कहीं नज़र नहीं आती थी। कुछ सालों बाद उसे पता चला कि सुमन अब इस दुनिया में नहीं रही। वह एक बीमारी से जूझ रही थी, और अपने आखिरी दिनों में उसने सिर्फ अपनी कहानियों में अपने जज़्बातों को जिंदा रखा था।
रोहित को एहसास हुआ कि उसकी मोहब्बत सिर्फ उसकी नहीं थी। सुमन भी उसे याद करती थी, मगर उसने कभी अपने जज़्बातों को ज़ाहिर नहीं किया।
यह मोहब्बत एक ऐसी मोहब्बत थी, जो कभी न जागी। एकतरफा, अनकही और अधूरी। लेकिन फिर भी, यह मोहब्बत थी, सच्ची और बेपनाह।
और इस तरह, उनकी कहानी किताबों में जिंदा रह गई, लेकिन उनकी मोहब्बत कभी हकीकत का रूप नहीं ले पाई।