Religion

मां दुर्गा के आठवी स्वरूप मां महागौरी की कथा

आज सुनेंगे नवरात्र के आठवी दिन की कथा यानी मां दुर्गा के आठवी स्वरूप मां महागौरी की कथा

नवरात्र की अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा की आठवीं स्वरूप मां महागौरी की पूजा होती है आज नवरात्रि का आठवां दिन है और लोग महागौरी की पूजा कर रहे हैं कई घरों में नवरात्र की अष्टमी तिथि पर कन्या भोज कराया जाता है और इसी के साथ कई भक्ति नवरात्र की अष्टमी तिथि पर ही व्रत

का परण करते हैं यदि किसी के विवाह में विलंब हो रहा है तो वो माता महागौरी की पूजा आराधना करें उसकी समस्या तुरंत दूर हो जाती है जिसकी कुंडली में विवाह से संबंधित प्रेशानी है उन्हें माता महागौरी की उपासना अवश्य करनी चाहिए मां की उपासना से जीवनसाथी और शीघ्र विवाह संपन्न होने के योग बनते हैं

आई जानते हैं मां दुर्गा के महागौरी रूप की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओ के अनुसार मां पार्वती ने भगवान शिवा को अपनाने के लिए कठिन तपस्याएं की थी हजारों वर्षों तक माता ने अन्य जल ग्रहण नहीं किया था जिससे उनका शरीर काला पढ़ गया माता की तपस्या से खुश होकर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया और गंगाजल उन पर डालकर उनको अत्यंत कांतिमान बना दिया इस वजह पार्वती के स्वरूप को महागौरी कहा जाता है

मान्यता है की माता की इस स्वरूप की पूजा विधिवत करने से सौंदर्य की प्रताप होती है हर घर में सुख समृद्धि का वास होता है पर महागौरी के

 

वर्ण को लेकर एक और कथा भी है जिसके अनुसार माता को अपना ये रूप ब्रह्मा जी के आशीष से मिला है कालरात्रि के रूप में सभी असुरो का नाश करने के बाद प्रभु भोलेनाथ जी ने देवी पार्वती को काली कहकर चढ़ाया इस पर माता ने गुस्सा हो गई और ब्रह्मा जी की कड़ी तपस्या करने लगी ब्रह्मा जी ने देवी से खुश होकर (मां पार्वती) को साक्षात दर्शन दिए और हिमालय के मानसरोवर में स्नान करने के लिए कहा जिसके बाद मां का शरीर दूध की तरह सफेद हो गया माता के इसी स्वरूप को महागौरी कहा जाता है माता महागौरी का स्वरूप बहुत ही उज्जवल कोमल श्वेत वर्ण और श्वेत वस्त्र धारी है देवी एक हाथ में त्रिशूल और अपने हाथ में डमरु लिए हुए नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है देवी

माता को गायन संगीत बहुत प्रिया है और यह सफेद वृषभ यानी बेल पर स्वर हैं माता का कालरात्रि स्वरूप जितना भयंकर है उतना ही माता का स्वरूप शांत  है अष्टमी तिथि को इनकी पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पुरी हो जाति है ब्राह्मण मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहने और माता का जब बहुत ध्यान से करें इसके बाद पूजा स्थल पर गंगाजल से छिड़काव करें और पांच देसी गी के दीपक जलाएं  कुछ अष्टमी को माता की पूजा में भक्तों को गुलाबी रंग के वस्त्र पहने चाहिए तो ये थी माता की कथा आपको ये कथा कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं

 

आरती

ध्यान: हे  माता, आपकी आराधना करने के लिए मैं आपके चरणों में प्रणाम करता हूँ। आपकी कृपा से ही मैं सभी बाधाओं से मुक्त हो सकता हूँ।

आरती:

ऊँ नमो भगवते गणपतये नमः ऊँ नमो भगवते गणपतये नमः ऊँ नमो भगवते गणपतये नमः

अर्थात: हे गणपति भगवान, आपका नाम लेकर मैं प्रणाम करता हूँ। आपकी कृपा से ही सभी बाधाएँ दूर होती हैं।

आरती:

ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय

अर्थात: हे शिव भगवान, आपका नाम लेकर मैं प्रणाम करता हूँ। आपकी कृपा से ही सभी कष्ट दूर होते हैं।

आरती:

ऊँ नमः महागौरी ऊँ नमः महागौरी ऊँ नमः महागौरी

अर्थात: हे  माता, आपका नाम लेकर मैं प्रणाम करता हूँ। आपकी कृपा से ही सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

आरती:

ऊँ नमः महागौरी ऊँ नमः महागौरी ऊँ नमः महागौरी

अर्थात: हे माता, आपका नाम लेकर मैं प्रणाम करता हूँ। आपकी कृपा से ही सभी बाधाएँ दूर होती हैं।

प्रार्थना:

हे  माता, आपकी कृपा से मैं सभी बाधाओं से मुक्त हो जाऊँ और सभी मनोकामनाएँ पूरी हो जाएँ। आपकी कृपा से ही मैं जीवन में सफलता प्राप्त कर सकूँगा।

अर्थात: हे  माता, आपकी कृपा से मैं सभी बाधाओं से मुक्त हो जाऊँ और सभी मनोकामनाएँ पूरी हो जाएँ। आपकी कृपा से ही मैं जीवन में सफलता प्राप्त कर सकूँगा।

ध्यान: हे माता, आपकी आराधना करने के लिए मैं आपके चरणों में प्रणाम करता हूँ। आपकी कृपा से ही मैं सभी बाधाओं से मुक्त हो सकता हूँ।

अर्थात: हे माता, आपकी आराधना करने के लिए मैं आपके चरणों में प्रणाम करता हूँ। आपकी कृपा से ही मैं सभी बाधाओं से मुक्त हो सकता हूँ।

नोट: यह आरती का एक सामान्य उदाहरण है। विभिन्न क्षेत्रों और परंपराओं में आरती के शब्द और तरीके थोड़े भिन्न हो सकते हैं।

 

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