भूतिया हवेली की गूंज कहानी

शहर के बाहरी इलाके में स्थित एक पुरानी हवेली को लोग “भूतिया हवेली” कहते थे। समय के साथ लोगों ने इसे भूलने की कोशिश की थी, लेकिन “भूतिया हवेली की गूंज” हर किसी के मन में एक खौफ की तरह बसी थी। कहते हैं कि वहाँ से अजीब-अजीब आवाजें आती थीं, जिनकी गूंज दूर-दूर तक सुनाई देती थी। स्थानीय लोग हवेली के पास जाने से भी डरते थे। कई बार लोग कहते कि उन्होंने रात के अंधेरे में हवेली के अंदर परछाइयाँ देखी हैं, जैसे कोई हवेली के अंदर चल रहा हो। यह रहस्यमयी गूंज हवेली के बारे में कई डरावनी कहानियाँ और अफवाहें फैलाती जा रही थी।

हवेली में कभी रियासत के नवाब रहा करते थे। नवाब साहब का इकलौता बेटा एक हादसे में मारा गया था, और कहते हैं कि उसी के बाद हवेली पर “भूतिया हवेली की गूंज” का साया छा गया। लोग मानते थे कि नवाब का बेटा अभी भी हवेली में बसा हुआ है और उसकी आत्मा चैन से सो नहीं पाती। धीरे-धीरे हवेली खंडहर में बदलती गई, और कोई उसमें रहने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।

एक बार शहर के एक युवक, आकाश, ने ठान लिया कि वह “भूतिया हवेली की गूंज” के रहस्य का पता लगाएगा। उसकी दोस्तों ने उसे समझाया कि भूतिया हवेली में जाना खतरे से खाली नहीं है, पर आकाश नहीं माना। उसने तय किया कि वह रात के समय हवेली जाएगा, ताकि हवेली के रहस्य से पर्दा उठा सके।

आकाश ने एक रात साहस बटोरा और अपने कैमरे और टॉर्च के साथ “भूतिया हवेली की गूंज” का पीछा करते हुए हवेली में कदम रखा। हवेली की पुरानी दीवारें और टूटी हुई खिड़कियाँ जैसे उस पर घूर रही थीं। हवा में अजीब-सी ठंडक और डरावना सन्नाटा था, जिसमें सिर्फ हवेली की गूंज गूंज रही थी। जैसे ही आकाश ने आगे कदम बढ़ाया, अचानक उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई उसके पीछे चल रहा हो। उसने मुड़कर देखा, पर वहाँ कोई नहीं था। फिर वह कुछ कदम और बढ़ा ही था कि अचानक हवेली की गूंज उसकी आत्मा तक पहुँच गई।

उसने देखा कि एक दरवाजा हलके से खुला, और वह अंदर घुस गया। कमरे के अंदर का माहौल भयावह था; दीवारों पर दरारें, धूल से ढँकी पुरानी तस्वीरें, और टूटे-फूटे फर्नीचर उसे और भयभीत कर रहे थे। लेकिन सबसे खौफनाक था हवेली का वो सन्नाटा, जिसमें सिर्फ “भूतिया हवेली की गूंज” का स्वर सुनाई दे रहा था।

आकाश ने आगे जाकर एक बड़े से हॉल में कदम रखा, और उसके रोंगटे खड़े हो गए। हॉल के बीचोंबीच एक पुराना झूला झूल रहा था, मानो कोई अदृश्य ताकत उसे चला रही हो। उसी वक्त हवेली में गूंजने वाली आवाजें और तेज़ होने लगीं। आकाश की हिम्मत धीरे-धीरे जवाब देने लगी। पर उसने खुद को हिम्मत दिलाई और आगे बढ़ा। हर कदम पर “भूतिया हवेली की गूंज” और रहस्यमयी हो रही थी।

जैसे ही वह एक और कमरे में पहुँचा, उसने देखा कि एक पुरानी डायरी फर्श पर पड़ी है। आकाश ने उसे उठाया और पढ़ना शुरू किया। उसमें नवाब के बेटे की कहानी लिखी हुई थी। उसके आखिरी पन्ने पर लिखा था कि नवाब का बेटा अपने पिता की तरह बड़ा आदमी बनना चाहता था, लेकिन दुर्भाग्य से एक षड्यंत्र का शिकार होकर उसकी जान चली गई। डायरी के अंतिम शब्दों में दर्द और दुःख था, जिसे पढ़कर आकाश की आँखों में आँसू आ गए। उसी पल हवेली की गूंज एक भयानक चीख में बदल गई, और आकाश ने महसूस किया कि कोई अदृश्य शक्ति उसे बाहर धकेल रही है।

उसने दौड़ते हुए हवेली से बाहर कदम रखा, और जैसे ही वह बाहर निकला, अचानक हवेली में छाई गूंज बंद हो गई। पीछे मुड़कर उसने देखा, लेकिन हवेली में फिर वही गहरी खामोशी छा गई थी।

उस रात के बाद से आकाश ने “भूतिया हवेली की गूंज” के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया। उसकी आत्मा ने हवेली का रहस्य जान लिया था, और उसने कसम खाई कि अब वह कभी वहाँ नहीं जाएगा। लेकिन वह जानता था कि उस हवेली में गूंजते हुए दर्द और खामोशी का रहस्य अब भी वहाँ है, जो फिर किसी और की जिज्ञासा को चुनौती देने के लिए तैयार था।

इस तरह “भूतिया हवेली की गूंज” का रहस्य एक पहेली बनकर रह गया, जिसे समझना आसान नहीं था।

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