सच्ची कहानियाँ

पुरानी हवेली मेरे गांव की भूतिया कहानी

कुछ बातें पुरानी हो जाती हैं मगर बोलती नहीं 

पुरानी हवेली यह बात है सन 1998 की

यह बात भी उन दिनों की है हमारे छोटे से गांव में एक पुरानी हवेली थी।
यह पुरानी हवेली कई सालों से खाली पड़ी थी और लोग उसे पुरानी हवेली की तरफ से जाने से भी डरते थे उसे हवेली की तरफ शाम 6:00 बजे के बाद कोई नहीं जाता था लोग कहते थे कि इस हवेली में भूत रहते हैं। कुछ लोग तो यह भी कहते थे कि इस पुरानी हवेली में एक खूनी रहता है जो रात में लोगों को मार डालता है।

पर मेरे गांव के दो युवक राहुल और विजय यानी कि मेरे दोस्त हर रोज मेरे से इस पुरानी हवेली के बारे में बात करते थे हम जब भी मिलते थे वह दोनों इस पुरानी हवेली के बारे में बात करते थे पर मैं इन सब के चक्कर में नहीं पढ़ना चाहता था क्योंकि मुझे इन सब के चक्कर में पढ़ना ही नहीं था मैं इन सब से दूर रहता था पर एक दिन हमें घर वापस आने में देरी हो गई और रास्ता शॉर्टकट एक ही था वह उसे पुरानी हवेली की तरफ से होकर गुजरता था मैं मन नहीं रहा था पर राहुल और विजय जीत पड़े थे कि यही शॉर्टकट रास्ता है इसे ही हम जल्दी घर पहुंच सकते हैं तो मैं उनकी हां में हां मिले और बिना रुके बिना पीछे मुद्दे तेज तेज चलने के लिए कहा

मैं बिना रुके बिना किसी की तरफ देख आगे बढ़ रहा था तभी उन दोनों के मन में हवेली के अंदर जाने का हवेली को देखने का विचार आया वे हवेली को देखने गए। वे दोनों बहुत ही साहसी थे और उन्हें डर लगने की बजाय रोमांच होता था। उन्होंने हवेली का दरवाजा तोड़ा और अंदर घुस गए। मेरी टांगे डर के मारे कहां पर रही थी और मैं बाहर खड़ा उनका इंतजार कर रहा था

अंदर का नज़ारा बहुत ही डरावना था। धूल जमी हुई थी, मकड़ियों के जाले लगे हुए थे और हवा में एक अजीब सी बदबू आ रही थी। उन्होंने बताया की हवेली के अंदर एकदम से ठंड बहुत बढ़ गई थी जबकि बाहर गर्मी थी उन्होंने हवेली के हर कमरे को खोजा लेकिन उन्हें कुछ भी नहीं मिला।

तभी, उन्हें एक कमरा मिला जिसका दरवाजा बंद था। बस यही गलतियों की सबसे बड़ी गलती थी उन्होंने दरवाजा खोला और अंदर देखा तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। कमरे की दीवारें खून से लथपथ थीं। बीच में एक बड़ा सा दाग था जो मानो किसी इंसान का शरीर रहा हो।

राहुल और विजय डर के मारे चिल्लाने लगे। वे जल्दी से हवेली से बाहर भाग निकले। लेकिन जब उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो देखा कि हवेली का दरवाजा बंद हो गया था। वह भाग कर मेरी तरफ आ रहे थे और चिल्ला रहे थे भागो भागो और मैं उनकी आवाज सुनी और मैं भी बिना सुने बिना कहे बिना कुछ पूछे भागने लगा

हम भाग कर गांव की तरफ पहुंचे और गांव वालों को पूरी बात बता दी। गांव वाले हवेली की तरफ दौड़े लेकिन जब वे हवेली के पास पहुंचे तो हवेली गायब हो चुकी थी। वह हवेली वहां पर थी ही नहीं वहां पर एक खाली मैदान था आज भी वहां पर कुछ नहीं है सिर्फ एक खाली मैदान है लोगों ने डर के मारे वहां पर सिर्फ आने जाने के लिए एक मार्ग बनाया है एक पार्क बना दी है और वहां पर एक मंदिर की स्थापना कर दी है मैं अपने गांव का नाम इसमें मैं बात नहीं सकता लेकिन यह सारी घटना सच है

उसके बाद राहुल विजय और मैं इस घटना को भूल नहीं पाए हमेशा यह डर लगा रहता था कि कहीं खूनी हमें ढूंढ ना ले कहीं वह जो वह लाश थी या वह शरीर था वह हमें पकड़ ना ले राहुल और विजय का तो बहुत बुरा हाल था उनको बुखार रहा बीमार रहे पर धीरे-धीरे वह ठीक हो गए मैंने तो यह अपनी आंखों से नहीं देखा था नहीं तो मैं भी बीमार पड़ जाता और शायद बच भी ना पता

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