रवि एक साधारण लेकिन भावनात्मक लड़का था। वह कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था और अपनी ही दुनिया में मग्न रहता था। उसकी दुनिया किताबों, कविताओं और कल्पनाओं में बसती थी। प्यार जैसी भावनाएँ उसके लिए बस किताबों तक सीमित थीं। वह हमेशा सोचता था कि प्रेम केवल कहानियों में ही होता है, असल जीवन में ऐसा कुछ नहीं होता। लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
पहली मुलाकात
एक दिन कॉलेज की लाइब्रेरी में उसकी मुलाकात नीलिमा से हुई। नीलिमा खूबसूरत थी, लेकिन उसकी असली खूबसूरती उसकी बुद्धिमत्ता और आत्मविश्वास में थी। वह कॉलेज की सबसे होशियार छात्राओं में से एक थी। रवि ने उसे पहली बार देखा और पहली बार उसके दिल की धड़कन तेज हुई। उसने कभी नहीं सोचा था कि किसी को देखकर उसका दिल इस तरह जोर से धड़क सकता है।
धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती होने लगी। वे साथ में पढ़ाई करते, कॉलेज के प्रोजेक्ट्स में सहयोग करते और कभी-कभी घंटों बातें भी करते। रवि के लिए यह सब नया था। उसने कभी किसी के साथ इतना जुड़ाव महसूस नहीं किया था। हर दिन वह नीलिमा के साथ कुछ समय बिताने का बहाना ढूँढता। उसे महसूस होने लगा कि वह नीलिमा से प्यार करने लगा है।
एकतरफा प्यार
रवि की दुनिया अब पूरी तरह से बदल चुकी थी। नीलिमा उसकी सबसे खास इंसान बन गई थी। उसकी हंसी, उसकी बातें, उसकी छोटी-छोटी आदतें—सब कुछ रवि के लिए अनमोल था। लेकिन यह सब केवल रवि के मन में था। नीलिमा के लिए रवि सिर्फ एक अच्छा दोस्त था।
रवि ने कई बार सोचा कि वह अपने दिल की बात नीलिमा को बता दे, लेकिन हर बार वह डर जाता। उसे लगता था कि अगर उसने अपनी भावनाएँ जाहिर कर दीं और नीलिमा ने उसे ठुकरा दिया, तो उनकी दोस्ती भी खत्म हो जाएगी।
आखिरकार, एक दिन रवि ने हिम्मत करके नीलिमा से अपने प्यार का इज़हार कर ही दिया।
पत्थर दिल का जवाब
जब रवि ने नीलिमा से कहा, “नीलिमा, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। तुम मेरी दुनिया बन गई हो।”
नीलिमा कुछ देर तक चुप रही और फिर हल्की मुस्कान के साथ बोली, “रवि, तुम बहुत अच्छे इंसान हो। मैं तुम्हें बहुत पसंद करती हूँ, लेकिन सिर्फ एक दोस्त के रूप में। मैं प्यार में विश्वास नहीं करती। मेरा दिल शायद पत्थर का बना है।”
यह सुनकर रवि को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके दिल पर वार कर दिया हो। जिस लड़की को वह अपनी पूरी दुनिया मान बैठा था, उसने उसे सिर्फ दोस्त समझा। उसकी आँखों में आँसू आ गए, लेकिन उसने खुद को संभाल लिया।
उस दिन के बाद रवि की जिंदगी बदल गई। वह चुप रहने लगा, दोस्तों से दूरी बनाने लगा, और खुद को पढ़ाई में झोंक दिया। लेकिन मन में कहीं न कहीं दर्द बना रहा।
बिछड़ने के बाद की जिंदगी
कॉलेज खत्म होने के बाद नीलिमा किसी और शहर चली गई। रवि ने भी अपनी भावनाओं को मन में दफना दिया और अपने सपनों को पूरा करने में लग गया। उसने मेहनत से पढ़ाई की और एक सफल लेखक बन गया। लेकिन उसकी कहानियों में हमेशा एक अधूरा प्यार झलकता था।
वह जानता था कि नीलिमा अब उसके जीवन का हिस्सा नहीं है, लेकिन उसकी यादें हमेशा उसके साथ रहती थीं। वह सोचता था कि क्या नीलिमा को कभी एहसास होगा कि उसने किसी ऐसे इंसान को खो दिया जो उसे सच्चे दिल से प्यार करता था?
कई साल बाद…
कई सालों बाद, एक दिन रवि को अचानक एक चिट्ठी मिली। चिट्ठी नीलिमा की थी। उसने काँपते हाथों से उसे खोला और पढ़ने लगा।
“रवि, जब तुमने मुझे अपना प्यार दिया था, तब मैं उसे समझ नहीं पाई थी। मुझे लगा था कि मैं कभी किसी से प्यार नहीं कर सकती, लेकिन जब तुम दूर चले गए, तब एहसास हुआ कि तुम ही मेरी खुशी थे। मैं शायद तब सच में पत्थर दिल थी, लेकिन अब वह पत्थर पिघलने लगा है। क्या तुम्हारे दिल में अब भी मेरे लिए कोई जगह बची है?”
रवि ने चिट्ठी पढ़ी और हल्की मुस्कान के साथ आसमान की ओर देखा।
कुछ प्यार अधूरे ही रह जाते हैं, लेकिन उनकी गहराई कभी खत्म नहीं होती। कुछ पत्थर दिल समय के साथ पिघलते हैं, लेकिन कभी-कभी तब, जब बहुत देर हो चुकी होती है।