कहानी: देवी का अदृश्य रूप

गांव में एक प्यारी सी छोटी लड़की, जिसका नाम पूजा था। पूजा अपनी मासूमियत और सुंदरता के लिए जानी जाती थी। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें और सुनहरे बाल सभी का ध्यान खींचते थे। लेकिन पूजा के बारे में एक खास बात थी, जिसे कोई नहीं जानता था। वह वास्तव में एक देवी का रूप थी, जो धरती पर मानव रूप में आई थी।

गांव के लोग पूजा को बहुत प्यार करते थे। वह हर सुबह अपने दोस्तों के साथ खेलती, फूल तोड़ती और पक्षियों की चहचहाहट सुनती। पूजा के दिल में सभी के लिए प्रेम था, और उसने कभी किसी को दुखी नहीं किया। लेकिन पूजा का असली उद्देश्य कुछ और था। वह इस गांव को बचाने आई थी, क्योंकि गांव पर एक बड़ा संकट मंडरा रहा था।

गांव के पास एक घना जंगल था, जहाँ से अंधेरे और डरावने प्राणी अक्सर गांव में आते थे। गांव के लोग बहुत परेशान थे। कई बार उन्होंने जंगल में जाकर उन प्राणियों का सामना करने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें असफलता मिली। इस संकट से लोग बहुत चिंतित थे।

एक दिन, पूजा अपने दोस्तों के साथ खेल रही थी, तभी उसने देखा कि कुछ लोग जंगल की ओर जा रहे हैं। वह चुपचाप उनके पीछे हो ली। उसे पता था कि उसे कुछ करना होगा। जैसे ही वह जंगल में पहुंची, उसने देखा कि कुछ लोग वहां खड़े होकर डर रहे थे। एक अजीब सी आवाज सुनाई दी, “यहां से चले जाओ, नहीं तो तुम्हें बुरा परिणाम भोगना पड़ेगा।”

पूजा ने सोचा, “मुझे कुछ करना होगा।” उसने अपने मन में देवी दुर्गा का स्मरण किया और एक छोटी सी प्रार्थना की। अचानक, उसे अपने अंदर एक शक्ति का एहसास हुआ। वह एक चमकदार रोशनी में बदल गई, लेकिन उसके रूप को कोई नहीं देख पाया। वह केवल अपने मन की शक्ति से उन प्राणियों को समझाने लगी।

“मैं पूजा हूं। मैं तुम्हारी मदद करने आई हूं।” उसने अपनी आवाज में एक अद्भुत गूंज उत्पन्न की। “तुम्हें डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। मैं तुम्हें सुरक्षित कर दूंगी।”

जंगल में सभी लोग उस आवाज को सुनकर चकित रह गए। उन्होंने धीरे-धीरे इधर-उधर देखना शुरू किया, लेकिन पूजा का रूप नहीं दिखा। तभी पूजा ने उन प्राणियों से कहा, “तुम्हें अपने अंधकार से बाहर निकलना होगा। यह समय है अपने भीतर की शक्ति को पहचानने का।”

गांव के लोग सुनकर और भी उत्साहित हो गए। उन्होंने अपनी शक्ति को पहचानना शुरू किया। धीरे-धीरे, डर का माहौल बदलने लगा। जब गांव वालों ने मिलकर एकजुट होकर अपने डर का सामना किया, तो अंधेरे प्राणियों ने भी उनकी शक्ति को महसूस किया और भाग खड़े हुए।

जंगल में शांति लौट आई। लोग बहुत खुश थे और उन्होंने पूजा का धन्यवाद किया। लेकिन पूजा ने अपनी पहचान छुपाए रखी। उसे पता था कि अभी उसका असली काम पूरा नहीं हुआ था।

कुछ दिनों बाद, गांव में एक बड़ा उत्सव मनाया जाने वाला था। पूजा ने सोचा, “यह सही समय है। मुझे अपनी असली पहचान लोगों को बतानी होगी।”

उत्सव के दिन, पूजा ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर देवी दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की। जब पूजा ने मूर्ति के सामने नतमस्तक होकर अपनी प्रार्थना की, तो अचानक आसमान में एक तेज रोशनी चमकी। लोग चकित रह गए। पूजा ने देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया और सभी के सामने प्रकट हुईं।

“मैं ही पूजा हूं, और मैं देवी दुर्गा का स्वरूप हूं। मैं तुम्हारी रक्षा के लिए यहां आई थी।” यह सुनकर गांव वाले हैरान रह गए, लेकिन फिर भी वे प्रसन्न थे। पूजा ने उन्हें बताया कि असली शक्ति उन सभी के भीतर है, और उन्हें कभी भी डरने की जरूरत नहीं है।

गांव में खुशी का माहौल था। पूजा ने सभी को समझाया कि जब भी वे मिलकर एकजुट होते हैं, तो वे किसी भी संकट का सामना कर सकते हैं। देवी दुर्गा ने उन सभी को आशीर्वाद दिया और कहा, “तुम्हारे भीतर की शक्ति ही तुम्हारी असली पहचान है। इसे पहचानो और हमेशा साथ रहो।”

उस दिन से, गांव में न केवल पूजा का नाम लिया जाने लगा, बल्कि लोग उस दिन की याद में देवी दुर्गा की पूजा भी करने लगे। पूजा ने यह सुनिश्चित किया कि गांव के लोग हमेशा एकजुट रहें और किसी भी समस्या का सामना करने के लिए तैयार रहें।

इस प्रकार, पूजा ने न केवल अपनी असली पहचान प्रकट की, बल्कि गांव को भी एक नई दिशा दिखाई। गांव वाले हमेशा उसे देवी का रूप मानते रहे और पूजा ने अपने प्रेम और शक्ति से सबका दिल जीत लिया।

इस तरह से, एक छोटी सी लड़की ने न केवल गांव की रक्षा की, बल्कि सभी को यह भी सिखाया कि असली शक्ति भीतर होती है, जिसे पहचानना और अपनाना आवश्यक है।

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