रवि एक छोटे से गाँव में अपने माता-पिता के साथ रहता था। वह बहुत दयालु, विनम्र और नेकदिल लड़का था। उसके माता-पिता ने उसे बचपन से ही सिखाया था कि **”जरूरतमंदों की मदद करना सबसे बड़ा पुण्य है।”** रवि इस सीख को हमेशा याद रखता था और जब भी किसी को मदद की जरूरत होती, वह बिना सोचे-समझे आगे बढ़कर सहायता करता था।
### **सड़क किनारे बैठे बाबा**
एक दिन, जब रवि स्कूल से घर लौट रहा था, तो उसने देखा कि एक बूढ़े बाबा सड़क के किनारे बैठे थे। उनके कपड़े मैले-कुचैले थे, पैर में चप्पल तक नहीं थी, और उनका चेहरा भूख और थकान से मुरझा गया था। बाबा बहुत कमजोर लग रहे थे। कई लोग उनके पास से गुजर रहे थे, लेकिन कोई भी उनकी मदद के लिए नहीं रुका।
रवि को यह देखकर बहुत दुख हुआ। वह झटपट उनके पास गया और पूछा, **”बाबा, क्या आप ठीक हैं? क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूँ?”**
बाबा ने कांपती आवाज़ में कहा, **”बेटा, मैं कई दिनों से भूखा हूँ। मेरे पास खाने को कुछ नहीं है। अगर तुम कुछ मदद कर सको, तो भगवान तुम्हारा भला करेगा।”**
### **रवि की उदारता**
रवि के पास स्कूल का टिफिन बचा हुआ था। उसने तुरंत वह टिफिन बाबा को दे दिया। बाबा ने जैसे ही पहला निवाला खाया, उनकी आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने कहा, **”बेटा, तुम्हारी माँ ने बहुत अच्छा संस्कार दिया है। भगवान तुम्हें खूब तरक्की दे!”**
रवि को यह सुनकर बहुत खुशी हुई। उसने पास की दुकान से अपने जेब खर्च के पैसों से बाबा के लिए कुछ और खाने-पीने का सामान खरीदा। फिर वह अपने दोस्तों के पास गया और उनसे कहा कि हमें जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए।
### **गाँव में मदद की लहर**
रवि और उसके दोस्तों ने मिलकर गाँव में एक छोटा अभियान चलाया। वे अपने घरों से पुराने कपड़े, जूते और किताबें इकट्ठा करने लगे और उन्हें गरीबों में बाँटने लगे। कुछ दिनों बाद गाँव में तेज बारिश आई, जिससे कई झोपड़ियाँ गिर गईं और कई परिवार बेघर हो गए।
रवि और उसके दोस्तों ने गाँव के बड़े-बुजुर्गों से मदद माँगी। गाँव के लोगों ने मिलकर बेघर परिवारों के लिए रहने की अस्थायी व्यवस्था की और उनके लिए भोजन का भी इंतज़ाम किया। रवि ने खुद उन लोगों की मदद की, जिनका घर बारिश में टूट गया था। उसने बच्चों को अपने पुराने स्कूल बैग और किताबें दीं ताकि उनकी पढ़ाई जारी रह सके।
### **रवि को मिला सम्मान**
रवि की इस नेकदिली की चर्चा पूरे गाँव में होने लगी। गाँव के मुखिया ने सभी गाँववालों को पंचायत भवन में बुलाया और वहाँ रवि को सम्मानित किया। मुखिया जी ने कहा, **”बेटा, तुमने जो किया है, वह बहुत बड़ा काम है। अगर हर कोई तुम्हारी तरह दूसरों की मदद करने लगे, तो दुनिया की आधी समस्याएँ अपने आप हल हो जाएँगी।”**
रवि बहुत खुश था कि उसकी मदद से कई जरूरतमंदों को सहारा मिला। उसकी माँ ने उसे गले लगाते हुए कहा, **”मुझे तुम पर गर्व है, बेटा। सच्ची मानवता वही होती है, जो दूसरों की भलाई के लिए काम आए।”**
अब गाँव के और भी लोग इस नेक काम में जुड़ गए। गाँव में एक छोटी सी समिति बना दी गई, जो जरूरतमंदों की मदद करने के लिए काम करने लगी। अब कोई भी भूखा नहीं सोता था और कोई भी गरीब शिक्षा से वंचित नहीं रहता था।
### **शिक्षा**
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि **”दूसरों की मदद करना सबसे बड़ा पुण्य है।”** जब हम किसी की सहायता करते हैं, तो न केवल हम दूसरों के जीवन को बेहतर बनाते हैं, बल्कि हमारे जीवन में भी खुशी और संतोष आता है। **नेकी का फल हमेशा मीठा होता है।** हमें जब भी मौका मिले, दूसरों की मदद जरूर करनी चाहिए, क्योंकि एक छोटी सी सहायता भी किसी की ज़िंदगी बदल सकती है।