शहर के कोलाहल और चकाचौंध से दूर, एक छोटे से गांव में रिया नाम की लड़की रहती थी। रिया अपनी उम्र के बीसवें पड़ाव पर थी, लेकिन उसकी आंखों में जो चमक थी, वह किसी भी उम्र के व्यक्ति को आकर्षित कर सकती थी। गांव के किनारे बहती नदी की तरह, उसका दिल भी हर किसी के लिए खुला था, लेकिन उस दिल के कोने में एक ऐसा दर्द छिपा था जिसे उसने कभी किसी से साझा नहीं किया।
रिया का बचपन बहुत खुशहाल नहीं रहा। जब वह सात साल की थी, तो उसकी मां ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। मां के जाने के बाद, उसके पिता ने खुद को शराब में डुबो लिया। रिया ने अपनी मां की यादों को समेटकर अपने दिल में बसा लिया। वह हर रात मां के बारे में सोचते हुए रोती और आंसू बहाती। उसकी मां की एक ही तस्वीर थी, जिसे वह अक्सर निहारती और अपने आंसुओं से भिगो देती।
एक दिन गांव में एक उत्सव हुआ। वहां शहर से आए लोगों का जमावड़ा था। उनमें से एक लड़का आर्यन था। आर्यन ने रिया को देखा और उसकी सादगी में खो गया। आर्यन ने रिया से बात करने की कोशिश की, लेकिन रिया ने उसे नज़रअंदाज़ कर दिया। वह अपनी दुनिया में खोई हुई थी, जहां केवल उसकी मां की यादें और आंसू थे।
आर्यन ने हार नहीं मानी। वह रिया के करीब जाने के बहाने ढूंढने लगा। धीरे-धीरे उसने रिया को अपनी बातों से मुस्कुराना सिखाया। रिया, जो अपने दर्द के बोझ तले दबी थी, पहली बार किसी के साथ खुलकर हंसी। लेकिन जैसे ही वह आर्यन के करीब आने लगी, उसकी पुरानी यादें उसे फिर से सताने लगीं।
एक शाम, नदी किनारे बैठी रिया को आर्यन ने उसके आंसुओं के साथ देखा। उसने रिया से पूछा, “तुम्हारे इन आंसुओं के पीछे कौन सा दर्द है, रिया?”
रिया ने अपनी मां की कहानी आर्यन को बताई और कहा, “ये आंसू मेरी मां के लिए हैं। उनके बिना मैं अधूरी हूं।” आर्यन ने रिया का हाथ थामते हुए कहा, “तुम्हारी मां हमेशा तुम्हारे दिल में हैं। तुम्हारे आंसू उन्हें और करीब लाते हैं। लेकिन अगर तुम इन्हीं आंसुओं में डूब गईं, तो उनकी यादों की खुशबू कहीं खो जाएगी।”
रिया ने पहली बार महसूस किया कि उसके आंसू उसकी मां की यादों को संजोने का जरिया थे, लेकिन वही आंसू उसकी खुशियों को भी निगल रहे थे। उसने अपने आंसुओं को थामने की कोशिश की और अपनी मां की यादों को खुशी के पल बनाकर जीने का फैसला किया।
लेकिन यह आसान नहीं था। हर बार जब वह खुशी से जीने की कोशिश करती, कोई न कोई बात उसे फिर से उसकी मां की याद दिला देती। आर्यन ने रिया का हर कदम पर साथ दिया। उसने रिया को सिखाया कि कैसे अपने आंसुओं को अपने दिल की ताकत बनाना है।
कुछ महीनों बाद, रिया ने एक छोटे से स्कूल की स्थापना की, जहां वह उन बच्चों को पढ़ाने लगी, जिनके माता-पिता नहीं थे। वह अपने आंसुओं को खुशी और प्रेरणा में बदल चुकी थी। अब उसके आंसू दुख का नहीं, बल्कि गर्व और संतोष का प्रतीक बन गए थे।
एक दिन आर्यन ने रिया से कहा, “तुम्हारे आंसू अब केवल तुम्हारी मां के लिए नहीं हैं। ये आंसू उन बच्चों के लिए हैं, जिनके जीवन में तुमने रोशनी भरी है।”
रिया ने मुस्कुराते हुए कहा, “आंसू चाहे खुशी के हों या गम के, ये दिल के गहरे भावों को व्यक्त करते हैं। मैंने इन आंसुओं से जीना सीखा है।”
और इस तरह रिया की कहानी ने यह साबित कर दिया कि आंसू केवल कमजोरी का प्रतीक नहीं होते, वे हमारी ताकत और हमारी भावना की गहराई को भी दिखाते हैं।