गर्मियों की एक सुहानी शाम थी। सूरज धीरे-धीरे डूब रहा था और आसमान नारंगी और गुलाबी रंगों से सजा हुआ था। रिया अपने कॉलेज की लाइब्रेरी से लौट रही थी। उसकी किताबों के बीच से अचानक एक कागज का टुकड़ा गिरा, जिस पर लिखा था, “दिल की धड़कन तुम।” यह वाक्य उसे कहीं गहरे छू गया। उसने इधर-उधर देखा, पर आसपास कोई नहीं था।
अगले दिन, लाइब्रेरी में, रिया फिर से उसी किताब को ढूंढने गई। उसने देखा कि पास ही एक लड़का बैठा था, जिसकी आंखों में एक गहरा रहस्य छिपा था। उसका नाम था अर्जुन। उसने धीमी आवाज में कहा, “क्या यह तुम्हारी किताब है?” रिया ने हां में सिर हिलाया। तभी अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा, “दिल की धड़कन तुम।” रिया हैरान रह गई।
अर्जुन और रिया के बीच बातचीत शुरू हुई। अर्जुन ने बताया कि वह एक लेखक है और अपने उपन्यास के लिए प्रेरणा ढूंढ रहा था। रिया की मासूमियत और उसकी आंखों में बसे सपने अर्जुन को उसकी कहानी का मुख्य पात्र बना चुके थे। वह कहता, “जब तुमसे मिलता हूं, तो ऐसा लगता है जैसे मेरी हर कहानी पूरी हो जाती है।” रिया धीरे-धीरे अर्जुन की ओर खिंचती चली गई।
दिन, हफ्ते, और महीने बीतते गए। दोनों के बीच दोस्ती प्यार में बदल गई। अर्जुन ने एक दिन रिया को एक पार्क में बुलाया, जहां गुलाबों की महक और ठंडी हवा ने माहौल को और भी रूमानी बना दिया। उसने रिया को एक डायरी दी। डायरी का हर पन्ना रिया के नाम पर था, हर शब्द उसके लिए लिखा गया था। आखिर में लिखा था, “दिल की धड़कन तुम।” रिया की आंखों से आंसू छलक पड़े और उसने अर्जुन को गले से लगा लिया।
लेकिन जीवन हमेशा सरल नहीं होता। अर्जुन को एक गंभीर बीमारी का पता चला। उसने रिया से दूरी बनानी शुरू कर दी। वह नहीं चाहता था कि रिया उसकी बीमारी की वजह से दुखी हो। रिया यह बात समझ गई। उसने अर्जुन से कहा, “तुम मेरे जीवन की सबसे बड़ी खुशी हो। मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकती।” उनकी प्रेम कहानी एक नई दिशा में बढ़ने लगी। रिया ने अर्जुन के इलाज के लिए हर संभव प्रयास किया।
अर्जुन ने रिया के समर्पण और प्यार को देखते हुए महसूस किया कि उसका जीवन केवल उसके लिए नहीं बल्कि रिया के लिए भी कीमती है। इलाज के बाद अर्जुन धीरे-धीरे ठीक होने लगा। उन्होंने अपनी कहानी को किताब के रूप में प्रकाशित किया, जिसका नाम था “दिल की धड़कन तुम।” यह किताब लोगों के दिलों को छू गई और उनके प्यार की मिसाल बन गई।
एक साल बाद, अर्जुन और रिया की शादी हुई। उनकी शादी छोटे से गांव में हुई, जहां अर्जुन का बचपन बीता था। शादी में अर्जुन के सभी दोस्त और रिया के परिवार वाले मौजूद थे। अर्जुन ने अपनी शादी में कहा, “रिया, तुमने न केवल मुझे बीमारी से जीतने की ताकत दी, बल्कि मुझे जीने की वजह भी दी। सच में, दिल की धड़कन तुम हो।”
शादी के बाद अर्जुन और रिया ने अपनी नई जिंदगी की शुरुआत की। उन्होंने मिलकर एक चैरिटी शुरू की, जिसका नाम “दिल की धड़कन फाउंडेशन” रखा। यह फाउंडेशन गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों की मदद करता था। रिया और अर्जुन हर रोज लोगों की जिंदगी में रोशनी भरने का काम करते। उनकी कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा बन चुकी थी।
एक दिन, जब अर्जुन और रिया समुद्र किनारे बैठे थे, अर्जुन ने रिया से कहा, “क्या तुम्हें पता है, यह सब एक छोटे से कागज के टुकड़े से शुरू हुआ था, जिस पर लिखा था, ‘दिल की धड़कन तुम।'” रिया मुस्कुराई और बोली, “हां, और अब यह हमारी पूरी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है।”
उनकी जिंदगी में खुशी के पल बढ़ते ही गए। उन्होंने अपने प्यार की कहानी को और भी गहराई से समझा और महसूस किया। रिया ने अर्जुन के साथ मिलकर कई किताबें लिखीं, जिनमें से हर किताब में उनके प्यार और संघर्ष की झलक थी। उनकी सबसे प्रसिद्ध किताबें थीं, “अनंत प्रेम,” “संघर्ष का संगीत,” और “दिल की धड़कन तुम।”
उनकी कहानी ने साबित किया कि सच्चा प्यार केवल शब्दों का खेल नहीं होता, बल्कि यह त्याग, समर्पण और संघर्ष का प्रतीक होता है। उन्होंने दिखाया कि प्यार में असली ताकत होती है, जो हर मुश्किल को हरा सकती है।
अर्जुन और रिया की जिंदगी सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं थी; यह एक प्रेरणा थी। उनकी कहानी ने लोगों को सिखाया कि अगर आपके पास कोई है जो आपकी “दिल की धड़कन” है, तो उसे कभी न खोएं।