दरिया के पार का रहस्य
सूरज ढल रहा था और आसमान गहरे नारंगी रंग में बदल रहा था। गांव के किनारे बहने वाला दरिया अपनी शांति में लिपटा हुआ था। इस दरिया के बारे में लोगों में तरह-तरह की कहानियां प्रचलित थीं। कहते हैं, इस पार का जीवन तो आम था, लेकिन जो कोई उस पार गया, वह कभी वापस नहीं लौटा।
पहला कदम
रवि, गांव का सबसे साहसी युवक, इन कहानियों को महज अंधविश्वास मानता था। एक दिन उसने तय किया कि वह दरिया के उस पार जाएगा और वहां के रहस्य का पता लगाएगा। उसने अपनी नाव तैयार की और कुछ ज़रूरी सामान – जैसे एक लालटेन, रस्सी, और खाने-पीने की चीज़ें – अपने साथ रख लीं।
सफर की शुरुआत
रवि ने रात के अंधेरे में दरिया पार करने का फैसला किया। जैसे ही उसने चप्पू चलाना शुरू किया, पानी में अजीब-सा कंपन हुआ। ऐसा लगा मानो कोई अदृश्य ताकत उसे रोकने की कोशिश कर रही हो।
रवि को थोड़ा डर तो लगा, लेकिन उसने अपनी हिम्मत नहीं छोड़ी। आधे घंटे की मेहनत के बाद वह दरिया के उस पार पहुंचा। जैसे ही उसने किनारे पर कदम रखा, उसे ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ। यह हवा बाकी गांव की हवा से अलग थी – ठंडी, लेकिन भारी।
रहस्यमयी जंगल
दरिया के उस पार घना जंगल था। पेड़ों की शाखाएं इतनी लंबी और सघन थीं कि चांद की रोशनी भी नीचे नहीं पहुंच पा रही थी। रवि ने अपनी लालटेन जलाई और जंगल के भीतर कदम रखा। चारों तरफ सन्नाटा था, सिर्फ उसके कदमों की आवाज़ गूंज रही थी।
कुछ दूर चलने के बाद उसे पेड़ों के बीच एक पुराना मंदिर दिखा। मंदिर की दीवारें काई और बेलों से ढकी हुई थीं।
मंदिर का रहस्य
रवि ने मंदिर के अंदर झांका। वहां एक प्राचीन मूर्ति थी, जिसके चारों ओर अजीब से प्रतीक बने हुए थे। अचानक, उसे ऐसा लगा जैसे मूर्ति की आंखें उसे घूर रही हों। उसने गौर से देखा, लेकिन कुछ भी हिलता हुआ नहीं लगा।
जैसे ही उसने मूर्ति के पास कदम रखा, ज़मीन पर रखे पत्थर अपने आप खिसकने लगे। रवि का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। अचानक, वहां एक गुप्त दरवाज़ा प्रकट हुआ।
गुप्त दरवाज़े के अंदर
रवि ने साहस दिखाते हुए दरवाज़े के अंदर कदम रखा। यह एक सुरंग थी, जो नीचे की ओर जा रही थी। सुरंग के अंदर हल्की-सी रोशनी थी, जो दीवारों पर लगे अजीब से पत्थरों से आ रही थी।
सुरंग के अंत में एक बड़ा सा कमरा था, जिसमें सुनहरे रंग की चमचमाती चीज़ें रखी हुई थीं। वहां सोने के सिक्के, गहने और प्राचीन अस्त्र-शस्त्र थे। यह सब देखकर रवि दंग रह गया।
रहस्यमयी आवाज़
तभी, कमरे में एक गहरी और गूंजती हुई आवाज़ सुनाई दी, “तुम कौन हो और यहां क्यों आए हो?” रवि ने इधर-उधर देखा, लेकिन कोई दिखाई नहीं दिया। उसने हिम्मत जुटाकर जवाब दिया, “मैं सच जानने आया हूं।”
आवाज़ ने कहा, “यह खज़ाना केवल उन्हीं के लिए है जो लालच से परे हैं। यदि तुम्हारा इरादा नेक है, तो तुम इसे छू सकते हो, वरना तुम्हारी यही आखिरी रात होगी।”
परीक्षा
रवि ने खज़ाने की ओर देखा, लेकिन उसने कुछ नहीं छुआ। उसने कहा, “मुझे खज़ाने की लालच नहीं, मैं तो सिर्फ गांव लौटकर यह बताना चाहता हूं कि यहां क्या है।”
आवाज़ ने कहा, “तुम सच्चे हो। तुम्हें यह रहस्य बताने की अनुमति है। लेकिन याद रखना, इसे केवल उन्हीं के साथ साझा करना, जो इसके लायक हों।”
वापसी
रवि ने कमरे से बाहर निकलकर सुरंग के रास्ते वापस आकर दरिया पार किया। सुबह का उजाला हो चुका था। गांव के लोग उसे देखकर हैरान रह गए, क्योंकि किसी ने नहीं सोचा था कि वह वापस लौटेगा।
रवि ने गांव वालों को दरिया के पार के रहस्य के बारे में बताया, लेकिन खज़ाने का जिक्र नहीं किया। उसने बस इतना कहा कि वहां ऐसी चीज़ें हैं जो सिर्फ सच्चे और साहसी लोगों के लिए हैं।
अंत
उस दिन के बाद, गांव वालों ने रवि को और भी ज्यादा सम्मान देना शुरू कर दिया। हालांकि, किसी और ने कभी दरिया पार करने की हिम्मत नहीं की। दरिया का रहस्य और वहां का खज़ाना अब भी सुरक्षित था, केवल उन लोगों के लिए जो उसके योग्य थे।