चाँद की रोशनी और जादू की कहानी
गाँव बड़का टोला की एक बात है। यह गाँव प्रकृति की गोद में बसा था, जहाँ चारों तरफ हरियाली और पक्षियों की चहचहाहट थी। इस गाँव की एक खासियत थी, और वह थी चाँद की रोशनी। जब भी पूर्णिमा की रात आती, पूरे गाँव में एक अजीब सा जादुई माहौल छा जाता।
पूर्णिमा की वह रात, जब चाँद अपनी पूरी रोशनी के साथ चमकता, गाँव के लोग अपने-अपने घरों की छत पर इकट्ठा होते। सभी को लगता था कि चाँद की रोशनी में एक खास जादू है। बच्चे कहते थे, “आज रात चाँद का जादू हमें परियों की दुनिया में ले जाएगा।”
गाँव की एक युवा लड़की, नेहा, इस जादुई चाँदनी रात की कहानी सुनकर बड़ी हुई थी। उसकी दादी अक्सर उसे चाँद की रोशनी और जादू की कहानियाँ सुनाया करती थीं। दादी कहती थीं, “चाँदनी रात में हर चीज़ अलग लगती है। पेड़, पौधे और यहाँ तक कि पानी भी जादू से भरा लगता है। अगर तुम चाँद की रोशनी में बैठकर कुछ सोचो, तो वह सच हो सकता है।”
नेहा को इन कहानियों पर पूरा विश्वास था। हर पूर्णिमा की रात, वह गाँव के पास वाले तालाब के किनारे बैठ जाती। यह तालाब भी चाँद की रोशनी में जादुई सा लगता था। उसकी सतह पर चाँद का प्रतिबिंब ऐसा लगता, मानो वह जादुई दर्पण हो।
एक रात, नेहा ने अपनी आँखें बंद कीं और दिल से एक मुराद माँगी। उसने कहा, “अगर चाँद की रोशनी में सचमुच जादू है, तो मेरी यह मुराद पूरी करना।” उसकी मुराद थी, “मुझे मेरे पिता का पता चल जाए, जो कई साल पहले गाँव छोड़कर चले गए थे।” नेहा की माँ अक्सर कहती थीं कि उसके पिता किसी मजबूरी के कारण गाँव छोड़कर शहर गए थे, लेकिन वापस नहीं लौटे।
जैसे ही नेहा ने अपनी मुराद पूरी की, अचानक तालाब के पानी में लहरें उठने लगीं। उसने आँखें खोलीं तो देखा कि चाँद का प्रतिबिंब हिलने लगा है। उसी पल, तालाब के बीच से एक बूढ़ा आदमी निकला। उसकी दाढ़ी सफेद थी और उसके हाथ में एक जादुई छड़ी थी। उसने कहा, “नेहा, मैं चाँद का रखवाला हूँ। तुमने सच्चे दिल से प्रार्थना की है, इसलिए तुम्हारी मुराद पूरी होगी।”
नेहा चौंक गई। उसने पूछा, “क्या आप सच में चाँद के रखवाले हैं?”
उस आदमी ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, और मैं तुम्हें एक जादुई तोहफा देने आया हूँ। यह छड़ी तुम्हारे पिता को ढूँढने में मदद करेगी। लेकिन याद रखना, इसका इस्तेमाल सिर्फ नेक कामों के लिए करना।”
नेहा ने छड़ी को हाथ में लिया और महसूस किया कि उसमें चाँद की रोशनी का जादू भरा हुआ है। जैसे ही उसने छड़ी को घुमाया, उसके सामने एक जादुई रास्ता खुल गया। रास्ते में चाँद की रोशनी फैल रही थी और उस पर चलते ही नेहा एक अनजान जगह पहुँच गई।
वहाँ उसे एक बड़ा शहर दिखा। नेहा ने छड़ी को फिर से घुमाया और देखा कि एक छोटे से घर में उसके पिता बैठे हैं। वह दौड़कर उनके पास गई और उन्हें गले लगा लिया। उसके पिता ने उसे देखकर कहा, “नेहा, मैं तुम्हें बहुत याद करता था, लेकिन यहाँ हालात ऐसे थे कि मैं लौट नहीं सका।”
नेहा ने उन्हें सब कुछ बताया कि कैसे चाँद की रोशनी और जादू ने उसे यहाँ तक पहुँचाया। उसके पिता ने कहा, “अब मैं तुम्हारे साथ चलूँगा।”
गाँव लौटते समय, नेहा ने महसूस किया कि चाँद की रोशनी और जादू सिर्फ कहानियों तक सीमित नहीं है। यह असल में विश्वास और सच्चे दिल से माँगी गई दुआओं का नतीजा था।
उस दिन के बाद, गाँव के लोग नेहा और उसकी जादुई छड़ी की कहानी सुनते रहे। उन्होंने महसूस किया कि चाँद की रोशनी में वाकई कुछ खास है।