छोटू भूतिया बच्चे का रहस्य
गाँव के लोग उसे ‘छोटू’ कहते थे। एक छोटा सा लड़का, मासूम सी मुस्कान और बड़ी-बड़ी काली आँखें। लेकिन, वह कोई आम बच्चा नहीं था। गाँव वाले उससे डरते थे। कहते थे, वो भूत है।
यह सब शुरू हुआ था एक रात, जब छोटू के घर में आग लग गई थी। आग में उसकी की माँ जलकर राख हो गई थी। पिता गांव छोड़कर चला गया था। छोटू अकेला रह गया था। उस घर में, जहाँ कभी हँसी-खुशी का माहौल रहता था, अब सिर्फ सन्नाटा छा गया था।
कुछ दिनों बाद, गाँव वालों ने देखा कि वह अकेले ही घर में खेल रहा है। वो अजीब-अजीब आवाजें निकालता था और अकेले ही बातें करता था। कई बार, रात के अंधेरे में, उसे घर के बाहर घूमते हुए भी देखा गया।
एक रात, कुछ लड़के छोटू के घर के पास से गुजर रहे थे। तभी उन्होंने खिड़की से बाहर झाँकते हुए देखा। उसकी आँखें चमक रही थीं और उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी। डर के मारे लड़के वहाँ से भाग निकले।
अगले दिन, गाँव में अफवाह फैल गई कि वह भूत है। लोग उसके घर के पास से गुजरने से डरते थे। बच्चे उससे दूर रहते थे। वह अकेला और उदास रहने लगा।
एक दिन, गाँव में एक साधु आया। साधु ने उसको देखा और समझ गया कि उसके साथ कुछ गड़बड़ है। साधु ने अपने साथ ले जाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं गया।
साधु ने गाँव वालों को बताया कि वह कोई भूत नहीं है, बल्कि वो एक मासूम बच्चा है जो बहुत दुखी है। साधु ने गाँव वालों से कहा कि उन्हें उससे डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे प्यार देना चाहिए।
साधु ने छोटू को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह कुछ नहीं बोला। वो बस साधु की तरफ घूरता रहता था।
रात को, साधु ने छोटू के साथ उस घर में रात बिताई जहाँ आग लगी थी। साधु ने उसको गोद में लेकर उसे लोरी सुनाई। तभी, वह रोने लगा। वो जोर-जोर से रो रहा था।
साधु ने उसको शांत किया और उससे पूछा कि वो क्यों रो रहा है। छोटू ने कुछ नहीं कहा, बस रोता ही रहा।
अचानक, छोटू ने साधु से कहा, “मुझे माँ चाहिए।”
साधु समझ गया कि वह अपनी माँ को बहुत याद करता है। साधू ने उसको बताया कि उसकी माँ अब नहीं रही, लेकिन वो हमेशा उसके साथ है।
साधु ने उसको समझाया कि उसे डरना नहीं चाहिए। साधु ने छोटू को बताया कि वो हमेशा उसकी मदद करेगा।
धीरे-धीरे, वह शांत हो गया। अगले दिन से, वह साधु के साथ रहने लगा। साधु ने उसको पढ़ाना शुरू किया। छोटू बहुत होशियार था। वो जल्दी ही पढ़ना-लिखना सीख गया।
कुछ साल बाद, वह बड़ा हो गया। वो एक होशियार और समझदार लड़का बन गया। उसने गाँव के स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया।
उसने कभी नहीं भूला कि साधु ने उसकी कितनी मदद की थी। उसने साधु को अपना गुरु माना और उसकी सेवा करता रहा।
उसकी की कहानी गाँव में प्रसिद्ध हो गई। लोग अब छोटू से डरते नहीं थे, बल्कि उसका सम्मान करते थे। छोटू ने सबको यह सिखाया कि किसी भी इंसान को उसके रूप-रंग या परिस्थितियों के आधार पर नहीं आँकना चाहिए।
कहानी का रहस्य:
कहानी का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि छोटू भूत क्यों कहा जाता था? इसका जवाब यह है कि छोटू अपनी माँ की मौत का गम नहीं भुला पा रहा था। वो अकेला और उदास रहता था। उसकी आँखों में हमेशा डर और उदासी झलकती थी। यही कारण था कि लोग उसे भूत समझते थे।
दूसरा रहस्य यह है कि छोटू ने साधु से क्यों कहा कि उसे अपनी माँ चाहिए? इसका जवाब यह है कि छोटू अपनी माँ को बहुत याद करता था और वो चाहता था कि उसकी माँ वापस आ जाए।
कहानी का संदेश:
यह कहानी हमें सिखाती है कि किसी भी इंसान को उसके रूप-रंग या परिस्थितियों के आधार पर नहीं आँकना चाहिए। हर इंसान के अंदर अच्छाई होती है। हमें हर इंसान को प्यार और सम्मान देना चाहिए।
यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि दुःख को हमेशा के लिए नहीं जीना चाहिए। हमें आगे बढ़ना चाहिए और जीवन में नई शुरुआत करनी चाहिए।