चाँद से भी प्यारी

चाँद से भी प्यारी

एक छोटे से गाँव में एक लड़की रहती थी, जिसका नाम राधा था। वह न सिर्फ सुंदर थी बल्कि उसका दिल भी सोने जैसा था। जब भी कोई जरूरतमंद उसे पुकारता, वह बिना किसी स्वार्थ के उसकी मदद करती। उसकी सुंदरता और नेकदिली के कारण पूरा गाँव उसे “चाँद से भी प्यारी” कहता था।

राधा के माता-पिता बहुत ही साधारण लोग थे, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी को अच्छे संस्कार दिए थे। गाँव में जब भी कोई उत्सव होता, राधा उसमें बढ़-चढ़कर भाग लेती और हर किसी की सहायता करती। उसकी यही आदत उसे और भी प्रिय बनाती थी।

गाँव के समीप एक जंगल था, जिसमें एक वृद्ध साधु रहा करते थे। वे अपनी साधना में लीन रहते थे और कभी-कभी गाँव में आते थे। एक दिन, जब राधा जंगल में लकड़ियाँ इकट्ठा करने गई, तो उसने देखा कि साधु महाराज भूख और प्यास से बेहाल पड़े हैं। उसने तुरंत अपने पास रखा भोजन उन्हें दिया और पास के कुएँ से पानी लाकर उनकी प्यास बुझाई। साधु महाराज बहुत प्रसन्न हुए और उसे आशीर्वाद दिया, “बेटी, तू सिर्फ सुंदर नहीं बल्कि सच्चे मन वाली भी है। एक दिन तेरा नाम सारी दुनिया में होगा।”

समय बीतता गया। राधा की अच्छाई और सुंदरता की चर्चा आसपास के गाँवों में भी फैलने लगी। एक दिन, राजा के महल से संदेश आया कि राजकुमार स्वयं गाँव आकर राधा से मिलना चाहते हैं। यह सुनकर पूरे गाँव में खुशी की लहर दौड़ गई। गाँववालों ने अपने घरों को सजाया, मिठाइयाँ बनाई गईं और सभी ने राजकुमार के आगमन की तैयारी की।

राजकुमार जब गाँव आए, तो उन्होंने देखा कि राधा सचमुच चाँद से भी प्यारी थी। लेकिन उन्होंने यह भी महसूस किया कि उसकी असली सुंदरता उसके मन में बसी थी। उन्होंने राधा से विवाह का प्रस्ताव रखा। राधा के माता-पिता और गाँववालों की सहमति से यह शुभ कार्य संपन्न हुआ।

राजमहल में पहुँचने के बाद भी राधा ने अपनी सादगी और विनम्रता नहीं छोड़ी। वह प्रतिदिन जरूरतमंदों की सहायता करती, प्रजा की परेशानियों को समझती और उनके समाधान निकालने में मदद करती। उसकी दयालुता और न्यायप्रियता के कारण प्रजा उसे अपनी माँ के समान मानने लगी।

राजा के महल में आते ही कई चुनौतियाँ भी आईं। कुछ दरबारी राधा की सरलता को उसकी कमजोरी समझने लगे और षड्यंत्र करने लगे। लेकिन राधा ने अपनी बुद्धिमत्ता से हर समस्या का हल निकाल लिया। उसने साबित कर दिया कि सच्ची शक्ति प्रेम और करुणा में होती है।

राधा ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष योजनाएँ शुरू कीं। उसने हस्तशिल्प और सिलाई-कढ़ाई के केंद्र खुलवाए, जिससे गाँव की महिलाओं को रोजगार मिला। साथ ही, उसने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए निःशुल्क विद्यालय बनवाए, ताकि हर बच्चा पढ़ सके।

एक बार राज्य में भीषण अकाल पड़ा। खेत सूख गए, जलस्रोत खत्म हो गए और लोगों को खाने के लाले पड़ गए। तब राधा ने राजा के साथ मिलकर राहत कार्य शुरू किया। उसने अपने महल के अन्न भंडारों को खोलने का आदेश दिया और सुनिश्चित किया कि कोई भी भूखा न सोए। उसकी यह दरियादिली देखकर पूरे राज्य के लोग उसकी जय-जयकार करने लगे।

राधा की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि दूर-दूर के राजा-महाराजा भी उसकी प्रशंसा करने लगे। उन्होंने उसके राज्य में आकर उसके शासन को देखा और सीखा कि सच्चा राजा वही होता है जो अपने प्रजा की भलाई के लिए कार्य करे।

एक बार राज्य में एक गंभीर बीमारी फैल गई। लोग भय और चिंता में डूब गए। राधा ने खुद डॉक्टरों की एक टीम बनाई और राज्य के हर गाँव में जाकर इलाज सुनिश्चित किया। उसके अथक प्रयासों से बीमारी को नियंत्रित किया गया और लोगों को राहत मिली।

राधा का जीवन केवल सेवा और परोपकार के लिए समर्पित था। उसने जीवनभर समाज की भलाई के लिए कार्य किए। जब वह वृद्धावस्था में पहुँची, तो भी उसकी दयालुता और स्नेह का प्रकाश वैसा ही बना रहा। उसके द्वारा किए गए कार्यों की चर्चा युगों-युगों तक होती रही।

उसकी अच्छाई, सादगी और परोपकार की कहानियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाती रहीं और उसकी प्रेरणा से अनेक लोगों ने नेक कार्य करने का संकल्प लिया। इस तरह, “चाँद से भी प्यारी” राधा की कहानी अनंतकाल तक अमर हो गई।

sunsire

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