गुमशुदा डायरी का रहस्य
राधा के दादाजी का पुराना घर बहुत बड़ा और रहस्यमयी था। वह घर गांव के किनारे स्थित था और उसके चारों ओर फैले आम के पेड़ों की छांव में रहस्य का आभास होता था। बचपन से ही राधा को वहां की हर चीज़ बहुत पसंद थी, लेकिन एक चीज़ ऐसी थी जो उसे सबसे ज़्यादा आकर्षित करती थी—उसके दादाजी की गुमशुदा डायरी का राज।
राधा ने अपने दादाजी से इस डायरी के बारे में कई बार पूछा, लेकिन दादाजी हमेशा मुस्कुराकर कहते, “तुम्हें समय आने पर सब कुछ पता चलेगा।” दादाजी की मृत्यु के बाद भी वह डायरी किसी को नहीं मिली। राधा का बचपन इसी सोच में बीता कि उस डायरी में आखिर ऐसा क्या है, जो दादाजी ने किसी को नहीं बताया।
डायरी की तलाश
एक दिन राधा को पुराने घर की सफाई करते हुए एक संदूक मिला। संदूक पर जंग लगी हुई थी और उसे खोलना आसान नहीं था। काफी कोशिश के बाद जब संदूक खुला, तो उसमें कई पुरानी चीज़ें थीं—कुछ पुराने कपड़े, तस्वीरें, और एक चिट्ठी। चिट्ठी में लिखा था:
“अगर तुम इस चिट्ठी तक पहुंची हो, तो इसका मतलब है कि तुम सही रास्ते पर हो। मेरी गुमशुदा डायरी का राज इस घर की दीवारों में छिपा है। उसे ढूंढ़ने के लिए तुम्हें अपने दिमाग का इस्तेमाल करना होगा।”
यह पढ़कर राधा का उत्साह बढ़ गया। वह जानती थी कि यह चिट्ठी उसके दादाजी ने ही छोड़ी थी।
सुरागों का सिलसिला
राधा ने पूरे घर का कोना-कोना खंगालना शुरू किया। हर कमरे में कुछ न कुछ सुराग मिलता। सबसे पहले उसे एक कमरे की दीवार पर खरोंच के निशान दिखे। ध्यान से देखने पर उसने पाया कि वहां दीवार के पीछे एक छोटी जगह बनी हुई थी। उसने दीवार को तोड़ा और वहां से उसे एक और सुराग मिला—एक नक्शा।
नक्शे में घर के बगीचे का रास्ता दिखाया गया था। बगीचे के एक कोने में एक पुरानी कुम्हार की भट्टी थी। राधा ने उस भट्टी को खंगाला और वहां से उसे एक और संदेश मिला:
“जब सारा सच सामने होगा, तो तुम्हें गुमशुदा डायरी का राज समझ में आएगा।”
अजीब घटनाएं
डायरी की तलाश करते हुए राधा ने महसूस किया कि घर में कुछ अजीब हो रहा है। रात को खिड़कियां अपने आप खुल जातीं, दरवाजे चरमराने लगते, और कभी-कभी उसे लगता जैसे कोई उसे देख रहा हो। लेकिन राधा ने हिम्मत नहीं हारी। उसने यह तय कर लिया था कि वह हर हाल में डायरी को ढूंढेगी।
अंतिम पड़ाव
आखिरकार, राधा को घर की सबसे ऊपरी मंजिल पर एक पुरानी अलमारी मिली। अलमारी के पीछे एक गुप्त दरवाजा था। दरवाजे को खोलते ही राधा ने एक छोटी सी जगह देखी, जहां एक लकड़ी का बॉक्स रखा हुआ था। वह बॉक्स बंद था और उस पर दादाजी की लिखावट में लिखा था:
“यह है गुमशुदा डायरी का राज। इसे संभालकर पढ़ना।”
राधा ने धीरे-धीरे बॉक्स खोला और उसमें से एक पुरानी डायरी निकली।
डायरी का सच
डायरी खोलते ही राधा को उसके दादाजी की जिंदगी के कई अनकहे पहलुओं का पता चला। उसमें दादाजी के संघर्ष, उनके सपने, और उनके कई राज छिपे थे। लेकिन सबसे बड़ा रहस्य यह था कि दादाजी ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा गांव के बच्चों के लिए स्कूल बनाने के लिए छोड़ा था। डायरी में यह भी लिखा था कि इस स्कूल की देखभाल की जिम्मेदारी राधा की है।
राधा को समझ में आ गया कि दादाजी क्यों चाहते थे कि वह डायरी को खोजे। यह सिर्फ एक डायरी नहीं थी, बल्कि उनके आदर्शों और उनकी विरासत का प्रतीक थी।
नए अध्याय की शुरुआत
राधा ने दादाजी की इच्छा के अनुसार गांव में एक स्कूल बनवाया और वहां के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना शुरू किया। वह हर दिन डायरी पढ़ती और अपने दादाजी के विचारों से प्रेरणा लेती।
गुमशुदा डायरी का राज अब सिर्फ एक कहानी नहीं थी; यह राधा की जिंदगी का हिस्सा बन गया था। उसने सीखा कि असली संपत्ति पैसे या चीजों में नहीं, बल्कि दूसरों की मदद करने और अपनी विरासत को आगे बढ़ाने में है।
निष्कर्ष
गुमशुदा डायरी का राज ने न सिर्फ राधा की जिंदगी बदल दी, बल्कि पूरे गांव की तकदीर भी बदल दी। राधा ने अपने दादाजी की यादों और उनकी इच्छाओं को साकार करते हुए एक नई मिसाल कायम की।