अंधेरे कोने में बैठी एक छोटी सी लड़की थी, जिसका नाम रिया था। उसका दिल भरा हुआ था, लेकिन उसके चेहरे पर किसी प्रकार की मुस्कान नहीं थी। वह एक छोटे से गाँव में रहती थी, जहाँ की ज़िन्दगी सिमटी हुई थी। उसकी आँखों में भविष्य के लिए एक सवाल था, लेकिन कोई जवाब नहीं था। गाँव के लोग कहते थे कि रिया का दिल बहुत बड़ा है, पर उसकी किस्मत ने कभी उसे खुशी का अवसर नहीं दिया।
रिया की माँ अक्सर उसे कहती, “बेटा, चाहे जैसे भी हालात हों, कभी भी अपने ख्वाबों को छोड़ना मत। क्योंकि अंधेरे के बाद हमेशा एक नया सवेरा आता है।”
परंतु रिया के लिए ये शब्द खाली होते गए। वह अक्सर सोचती कि अगर उसके पास खुद को साबित करने का मौका होता, तो वह जरूर कुछ कर दिखाती। उसकी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी इच्छा थी कि वह अपनी काबिलियत को दुनिया को दिखाए, लेकिन उसके पास न तो कोई साधन था, न कोई रास्ता।
एक दिन गाँव में एक बड़ा आयोजन हुआ। एक कला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था, जिसमें पूरे क्षेत्र के लोग भाग ले सकते थे। रिया के मन में भी एक उम्मीद जगी। उसने ठान लिया कि वह इस प्रतियोगिता में भाग लेगी। उसकी माँ ने उसे उत्साहित किया, “तुमसे कोई भी बड़ी बात नहीं हो सकती, बस अपने सपनों पर यकीन रखना।”
लेकिन रिया के भीतर डर था। वह जानती थी कि उसकी कला उतनी परिपक्व नहीं है जितनी अन्य प्रतियोगियों की होगी। फिर भी, उसने अपनी हिम्मत जुटाई और प्रतियोगिता में भाग लिया। वह अपनी तस्वीरों को लेकर पहुँची, जिन्हें उसने अंधेरे में बैठकर बड़े ही सधे हुए तरीके से बनाया था। उसकी तस्वीरें कुछ खास थीं—वह अंधेरे से निकलकर उजाले की ओर बढ़ते हुए रंगों को दर्शाती थीं।
प्रतियोगिता में वह अपने ख्वाबों को सबके सामने रख चुकी थी, लेकिन अभी भी उसके मन में संकोच था। प्रतियोगिता के अंतिम दिन, जब नतीजे घोषित होने थे, तो रिया का दिल धड़क रहा था। सभी प्रतियोगियों में से एक विजेता का चयन किया गया, और उस विजेता का नाम रिया था।
रिया की आँखों में आंसू थे, लेकिन यह आंसू खुशी के थे। उसकी मेहनत, उसका सपना, और उसकी आत्मविश्वास ने उसे जीत दिलाई थी। वह जानती थी कि अंधेरे में खिलते ख्वाबों की कोई कीमत नहीं होती, जब तक आप खुद पर यकीन नहीं करते। रिया ने अपनी माँ की बात सही साबित कर दी—अंधेरे के बाद हमेशा एक नया सवेरा आता है।
उस दिन रिया ने यह समझा कि असली जीत वो नहीं है जो हमें दुनिया से मिलती है, बल्कि वो है जो हम अपने भीतर पाते हैं। उसने यह भी समझा कि ख्वाबों को देखने का साहस ही असली शक्ति है, और अंधेरे से निकलकर उजाले में जाने का रास्ता सिर्फ और सिर्फ खुद की हिम्मत और विश्वास पर निर्भर करता है।
रिया ने प्रतियोगिता में अपना नाम दर्ज किया, लेकिन अब वह अपनी कला के बारे में न सिर्फ खुद से, बल्कि अपने परिवार और गाँववालों से भी डरने लगी थी। उसकी आँखों में आत्म-संशय था, लेकिन दिल में कुछ और ही उम्मीद थी। वह हर दिन देर रात तक अपने छोटे से कमरे में बैठकर चित्र बनाती थी। कमरे की दीवारों पर बने पुराने और फीके चित्रों के बीच, एक नई रोशनी उसके दिल में जल रही थी।
एक दिन उसकी माँ ने उसे देखा, “तुम इतनी रात तक क्यों बैठी रहती हो, बेटा?” रिया मुस्कुराई और बोली, “माँ, मैं बस अपने ख्वाबों को सही रूप देना चाहती हूँ। अगर मैं खुद को साबित नहीं कर सकी, तो मुझे सच्ची खुशी कभी नहीं मिलेगी।” उसकी माँ चुप रही, लेकिन उसकी आँखों में विश्वास था।
रिया ने कुछ नया करने का निर्णय लिया। उसने अपनी कला को सिर्फ चित्रकला तक सीमित नहीं रखा। अब वह कविता भी लिखने लगी थी, जो उसके चित्रों की कहानी बयां करती थी। रिया के शब्दों में गहरी भावनाएँ और उसके चित्रों में अंधेरे से उजाले की ओर बढ़ता हुआ संघर्ष था। उसकी कविताओं में वह उम्मीद, डर, संघर्ष, और विजय सब कुछ था। “अंधेरों में भी ख्वाब देखे जा सकते हैं, बस हमें उन ख्वाबों को कभी न छोड़ना चाहिए,” यही उसका मान था।
कभी-कभी रिया को लगता, कि उसके आसपास सब लोग बहुत खुशहाल हैं। उनके पास सपने, लक्ष्य, और रास्ते थे। लेकिन उसकी जिंदगी में कभी ऐसा कुछ नहीं था। वह किसी दूसरे जीवन को अपनी आँखों में देखती, लेकिन अपने जीवन को समझ नहीं पाती।
एक दिन, गाँव के एक बुजुर्ग शिक्षक ने उसे देखा। उन्होंने कहा, “रिया, तुम अपनी कला में कुछ अलग करने की क्षमता रखती हो, पर तुम खुद को क्यों नहीं देख पा रही हो?” रिया मुस्कराई और कहा, “मैं खुद को देखना चाहती हूँ, लेकिन मुझे लगता है कि मेरे पास वो सब नहीं है, जो मुझे चाहिए।”
शिक्षक ने उसे समझाया, “सभी महान कलाकारों की शुरुआत कभी आसान नहीं होती। कभी-कभी हमें अपने अंधेरे को पहचानकर ही उजाले की ओर बढ़ना होता है। तुम्हारे ख्वाब ही तुम्हारे सबसे बड़े सहायक हैं।”
इन शब्दों ने रिया के मन में एक नई ऊर्जा भर दी। उसने मन ही मन सोचा, “अगर मुझे अपनी कला को दुनिया तक पहुँचाना है, तो मुझे खुद पर यकीन करना होगा। मुझे अपने ख्वाबों का पीछा करना होगा, चाहे जो हो।”
अगले कुछ दिनों में रिया ने अपनी कला और कविताओं का एक संग्रह तैयार किया। उसे लगता था कि यह उसकी पूरी मेहनत और संघर्ष का परिणाम था। गाँव के हर व्यक्ति ने उसके चित्रों और कविताओं को सराहा। रिया के लिए वह पल जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पल था, क्योंकि उसने महसूस किया कि उसकी कला को पहचान मिल रही थी।
प्रतियोगिता का दिन आ पहुँचा। रिया ने अपनी चित्रों की प्रदर्शनी के साथ अपनी कविता भी प्रस्तुत की। प्रदर्शनी में वह अपने अंधेरे से उजाले की ओर बढ़ते ख्वाबों को दिखाती हुई अपनी कला के माध्यम से दुनिया से कुछ कहने की कोशिश कर रही थी। वहाँ पर कई लोग आए और रिया की कला की तारीफ की। लेकिन रिया का ध्यान केवल उस पल पर था जब परिणाम घोषित होने वाला था।
और फिर, उस दिन ने रिया की जिंदगी बदल दी। वह प्रतियोगिता जीत गई। रिया की आँखों में आंसू थे, लेकिन ये आंसू खुशी के थे। उसने महसूस किया कि उसने न सिर्फ प्रतियोगिता जीती थी, बल्कि उसने अपने भीतर की ताकत को भी पहचान लिया था।
अब रिया को समझ में आया कि ख्वाबों को देखना और उन्हें जीना दोनों एक साथ संभव हैं। अंधेरे में अगर हम कभी न डरें, तो वही अंधेरा हमें उजाले की ओर ले जा सकता है। रिया ने यह भी समझा कि हमें कभी भी अपनी कठिनाइयों से हार नहीं माननी चाहिए। क्योंकि सच्ची जीत तब होती है जब हम खुद पर यकीन रखते हैं और किसी भी परिस्थिति में अपने ख्वाबों को न छोड़ें।
उसके बाद, रिया ने अपनी कला का प्रसार किया और कई बड़े शहरों में अपनी प्रदर्शनी लगाई। वह एक प्रसिद्ध कलाकार बनी, लेकिन उसने कभी अपने संघर्ष और अंधेरे दिनों को नहीं भुलाया। वह हमेशा अपने ख्वाबों के प्रति ईमानदार रही, और यही उसे आगे बढ़ने की शक्ति देती रही।
रिया की कहानी न केवल उसकी खुद की जीत थी, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गई, जो अंधेरे में अपना रास्ता तलाश रहे थे। उसका यह संदेश आज भी लोगों के दिलों में गूंजता है, “अंधेरों में खिलते ख्वाब कभी मुरझाते नहीं, क्योंकि उन्हें देखने वाली आँखें हमेशा रोशनी की ओर बढ़ती हैं।”