गांव एक छोटी चिड़िया की उड़ान
कानपुर के एक छोटे से गांव में एक प्यारी सी चिड़िया रहती थी। उसका नाम मुन्नी था। मुन्नी जितनी छोटी थी, उतनी ही फुर्तीली और चंचल भी। उसके अंदर एक बड़ा सपना था—आसमान में ऊंची उड़ान भरने का। लेकिन गांव के अन्य पक्षी उसे यह कहकर हतोत्साहित करते थे कि उसके पंख इतने मजबूत नहीं हैं कि वह ऊंचा उड़ सके।
मुन्नी अपने पंखों की कोमलता को देखकर कभी-कभी निराश हो जाती, लेकिन उसका हौसला कभी कमजोर नहीं पड़ा। वह हर सुबह सूरज की पहली किरण के साथ अपने पंख फैलाकर उड़ने की कोशिश करती। उसके माता-पिता भी उसे समझाते थे, “मुन्नी, तुम्हारा शरीर छोटा है। तुम्हें इतनी मेहनत करने की जरूरत नहीं है। तुम्हारी उड़ान जमीन के करीब ही रहेगी।”
लेकिन मुन्नी को अपनी काबिलियत पर यकीन था। उसने ठान लिया था कि एक दिन वह अपनी सीमाओं को तोड़कर ऊंचा उड़ान भरेगी। गांव के पास एक बड़ी सी पहाड़ी थी। मुन्नी ने सोचा, “अगर मैं इस पहाड़ी की चोटी तक पहुंच गई, तो शायद मैं वहां से उड़ान भर सकती हूं।”
अगली सुबह मुन्नी ने पहाड़ी की ओर उड़ने की कोशिश शुरू की। पहले कुछ प्रयासों में वह असफल रही। उसके पंखों में जोर नहीं था, और हर बार वह नीचे गिर जाती। गांव के पक्षी उसे देखकर हंसते और कहते, “मुन्नी, यह सब छोड़ दो। तुम कभी ऊंचा नहीं उड़ सकती।”
मुन्नी रात में अकेले बैठकर सोचती थी, “क्या सचमुच मैं कभी ऊंचा नहीं उड़ सकती? क्या मैं हमेशा इन्हीं छोटी झाड़ियों के बीच सिमटी रहूंगी?” लेकिन फिर उसे अपनी मां की सीख याद आती, “कड़ी मेहनत से कोई भी सपना पूरा हो सकता है। बस खुद पर भरोसा रखना।”
मुन्नी ने अपनी उड़ान की रणनीति में बदलाव किया। अब वह सिर्फ उड़ने की कोशिश नहीं करती थी, बल्कि अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए रोजाना अभ्यास करने लगी। वह छोटे-छोटे पत्थरों को उठा कर अपनी चोंच और पंखों की मांसपेशियों को मजबूत करती। वह सुबह जल्दी उठती और पेड़ों के चारों ओर तेजी से चक्कर लगाती। धीरे-धीरे, उसके पंख पहले से ज्यादा मजबूत होने लगे।
एक दिन, जब गांव में तेज़ हवाएं चल रही थीं, मुन्नी ने देखा कि बाकी पक्षी अपने घोंसलों में दुबके हुए हैं। लेकिन मुन्नी ने इस मौके को अपने लिए चुनौती माना। उसने सोचा, “अगर मैं इन तेज़ हवाओं में उड़ान भर सकूं, तो मुझे और ताकत मिलेगी।” उसने हिम्मत जुटाई और हवा के खिलाफ उड़ने की कोशिश की। पहली बार में वह कई बार लड़खड़ाई, लेकिन उसने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे वह हवा के प्रवाह को समझने लगी और उसके साथ समन्वय बनाकर उड़ने लगी।
कुछ हफ्तों के कठोर अभ्यास के बाद, वह दिन आया जब मुन्नी ने पहाड़ी की चोटी पर पहुंचने का अंतिम फैसला किया। यह सुबह बाकी दिनों से अलग थी। आसमान में हल्के बादल छाए हुए थे, और सूरज अपनी चमक बिखेर रहा था। मुन्नी ने अपनी आंखों में आत्मविश्वास और अपने दिल में जोश के साथ उड़ान भरी। उसने नीचे के सभी पक्षियों को देखा, जो उसकी तरफ देख रहे थे। कुछ उसे प्रोत्साहित कर रहे थे, और कुछ अभी भी संदेह में थे।
मुन्नी ने धीरे-धीरे ऊंचाई पकड़नी शुरू की। उसकी सांसें तेज हो रही थीं, लेकिन उसका हौसला अडिग था। आखिरकार, वह पहाड़ी की चोटी तक पहुंच गई। वहां पहुंचकर उसने अपनी जीत की पहली अनुभूति की। वह चोटी पर खड़ी होकर चारों ओर के नज़ारों को देख रही थी। नीचे गांव के खेत, नदी, और छोटे-छोटे घर सब कुछ दिख रहे थे।
मुन्नी ने अपने पंख फैलाए और पूरी ताकत से छलांग लगाई। वह अब हवा में तैर रही थी, बिना किसी डर के। उसके दिल में खुशी का सागर उमड़ रहा था। वह सोच रही थी, “मैंने कर दिखाया! मैंने साबित कर दिया कि मेरी काबिलियत पर शक करने वाले गलत थे।”
नीचे गांव के पक्षी उसे देख रहे थे। जो कभी उसका मजाक उड़ाते थे, अब उसकी तारीफ कर रहे थे। उन्होंने कहा, “मुन्नी, तुमने सच में कर दिखाया। तुमने हमें सिखाया कि किसी को भी कम नहीं आंकना चाहिए।”
मुन्नी की यह उड़ान सिर्फ उसकी नहीं थी, यह उन सभी छोटे जीवों के लिए एक प्रेरणा थी जो बड़े सपने देखते हैं। उसने यह साबित कर दिया कि अगर आप में हिम्मत और धैर्य है, तो कोई भी सपना बड़ा नहीं होता।
अब, हर सुबह मुन्नी आसमान में ऊंचा उड़ती। वह गांव के बच्चों के लिए एक आदर्श बन गई। बच्चे उसे देखते और अपने सपनों को साकार करने की प्रेरणा लेते। मुन्नी की कहानी गांव के हर कोने में सुनाई जाती थी। उसकी मेहनत, लगन और विश्वास ने उसे एक साधारण चिड़िया से एक मिसाल बना दिया।
उसकी यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर हम खुद पर यकीन करें और अपने सपनों के लिए मेहनत करें, तो कोई भी मुश्किल हमें रोक नहीं सकती। आज भी, जब कोई पक्षी आसमान में उड़ता है, तो गांव के लोग मुन्नी को याद करते हैं और कहते हैं, “सपने देखने की हिम्मत करो, और उन्हें पूरा करने की ताकत भी।”

Seerat
यह कहानी मिस सीरत द्वारा लिखी गई है।