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कलयुग के बारे में कुश मत्वपूर्ण बाते कब शुरू हुआ कैसे अंत होगा

कलयुग

कलयुग की शुरुआत कैसे हुई थी?

कलयुग की शुरुआत एक महान युद्ध, महाभारत के बाद हुई थी। महाभारत, दो प्रमुख पांडव और कौरव कुलों के बीच एक भयानक युद्ध था, जो हिंदू धर्म की महाकाव्य पुराणों में से एक है।

इस युद्ध में, बहुत से अच्छे लोग मारे गए और दुनिया में भ्रष्टाचार और अत्याचार बढ़ गया। इस घटना के बाद, हिंदू धर्म के अनुसार, इस का आरंभ हुआ।

कलयुग के मुख्य लक्षण:

अधर्म का प्रसार: कलयुग में अधर्म का प्रसार होता है। लोग धर्म का पालन नहीं करते हैं और गलत काम करते हैं।
लालच और लोभ: लोग लालच और लोभ के कारण गलत काम करते हैं।
झूठ और छल: लोग झूठ बोलते हैं और दूसरों को धोखा देते हैं।
क्रोध और हिंसा: लोगों के मन में क्रोध और हिंसा बढ़ जाती है।
इन सभी कारणों से, इस को एक दुखद और कठिन समय माना जाता है। हालांकि, हिंदू धर्म में यह भी मान्यता है कि कलयुग के बाद, एक नया युग, सतयुग आएगा, जिसमें धर्म और अच्छाई का प्रसार होगा।

इस के अंत के बारे में हिंदू धर्म में कई मान्यताएं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि एक निश्चित अवधि के बाद समाप्त हो जाएगा, जबकि अन्य का मानना है कि इसका अंत तभी होगा जब धर्म और अच्छाई का प्रसार होगा।

कुछ पुराणों में बताया गया है कि इस की अवधि 432,000 वर्ष है। यदि यह सच है, तो कलयुग के अंत का अनुमान लगाया जा सकता है। हालांकि, यह केवल एक अनुमान है और वास्तविकता में कलयुग का अंत कब होगा, यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता।

अंत में, इस के अंत का निर्धारण मानव जाति के कर्मों पर निर्भर करता है। यदि लोग धर्म का पालन करते हैं और अच्छे काम करते हैं, तो कलयुग जल्दी समाप्त हो सकता है। लेकिन यदि लोग अधर्म और बुराई का पालन करते हैं, तो कलयुग लंबा चल सकता है।

इसलिए, इस के अंत का निर्धारण मानव जाति के हाथों में है। यदि हम सभी धर्म और अच्छाई का पालन करते हैं, तो हम कलयुग के अंत को जल्दी ला सकते हैं और एक नए युग, सतयुग का स्वागत कर सकते हैं।

कलयुग का अंत करने के लिए 

यह एक सामूहिक प्रयास है जो मानव जाति द्वारा किया जाना चाहिए। यदि लोग धर्म का पालन करते हैं और अच्छे काम करते हैं, तो इस का अंत जल्दी हो सकता है।

हिंदू धर्म में, महात्मा या अवतार जैसे संतों और देवताओं को इस के अंत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद की जाती है। वे लोगों को सही मार्ग पर लाने और अधर्म का अंत करने में मदद कर सकते हैं।

हालांकि, अंतिम रूप से, इस का अंत मानव जाति के कर्मों पर निर्भर करता है। यदि हम सभी धर्म और अच्छाई का पालन करते हैं, तो हम कलयुग के अंत को जल्दी ला सकते हैं और एक नए युग, सतयुग का स्वागत कर सकते हैं।
इस के बाद सतयुग आएगा। सतयुग को हिंदू धर्म में चार युगों में से सबसे अच्छा और शुद्ध माना जाता है। इस युग में धर्म का पूर्ण रूप से पालन होता है और दुनिया में शांति और समृद्धि होती है।

इस में सभी देवताओं की पूजा की जा सकती है, लेकिन कुछ देवताओं को विशेष रूप से पूजनीय माना जाता है। इनमें से कुछ हैं:

शिव: शिव को इस के देवता के रूप में माना जाता है। उनकी पूजा करने से कलयुग के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिल सकती है।
विष्णु: विष्णु को भी इस में पूजनीय माना जाता है। उनके अवतारों की पूजा करना भी लाभदायक होता है।
हनुमान: हनुमान को इस के संकटमोचक के रूप में जाना जाता है। उनकी पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिल सकती है।
गणेश: गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है। उनकी पूजा करने से कार्य में बाधाएं दूर होती हैं।
इन देवताओं के अलावा, अन्य देवताओं की भी पूजा की जा सकती है, जैसे कि माता दुर्गा, भगवान कृष्ण, आदि। महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस भी देवता की पूजा की जाए, उसे पूरे मन से और भक्ति भाव से किया जाए।

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